Chandrayaan-2 Facts : ये हैं चंद्रयान 2 से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें, आपको भी नहीं होंगी पता

चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) भारत और भारतीय स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) का महत्वकांक्षी मिशन है। भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा तक पहुंचाने के लिए कड़ी महनत की है, जिसका फल अब देखने को मिल रहा है। आज चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश कर चुका है। चंद्रमा पर उतरने में करीब 18 दिन रह गए हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 6 से लेकर 7 सितंबर के बीच चंद्रयान-2 चांद की सतह पर लैंड करेगा। वैज्ञानिक चंद्रयान-2 के माध्यम से चंद्रमा की सतह की जरूरी जानकारी को इक्ट्ठा करेंगे।
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2 सितंबर को चंद्रयान-2 से लैंडर विक्रम अलग हो जाएगा और 6 या 7 को रोवर प्रज्ञान चांद की सॉफ्ट सतह पर लैंड करेगा। यदि यह लैंडिंग होती है, तो भारत ऐसा कारनामा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। हम आपको चंद्रयान-2 से जुड़े ऐसे तथ्यों (chandrayaan-2 Facts) की जानकारी देने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी शायद ही आपको होगी। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में........
चंद्रयान-2 के रोचक तथ्य (Chandrayaan-2 Facts)
1. चंद्रयान-2 को 2011 में सबसे पहले रूस के मुख्य लैंडर और रोवर के साथ चंद्रमा पर भेजा जाना था। लेकिन किसी कारणवश रूस ने इस लॉन्चिंग को शुरू करने से मना कर दिया था।
2. इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 को चांद की छाया वाली जगह (दक्षिण ध्रुव) के रहस्य को जानने के लिए भेजा है। यह संभावनाएं जताई जा रही हैं कि इस क्षेत्र में पानी मिल सकता है।
3. चांद का दक्षिण ध्रूव एक बड़ा इलाका है, जो कि अधिकतर समय छाया में रहता है और साथ ही शांत भी है। चंद्रयान-2 इस क्षेत्र पर इंसान के जीवन से जुड़ी अहम जानकारियों का पता लगाएगा। साथ ही पानी की मौजूदगी और खाद्य पदार्थ की खोज करेगा।
4. इसरो ने चंद्रयान-2 से पहले चंद्रयान 1 को लॉन्च किया था। चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर पानी होने की जानकारी दी थी। वहीं, यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि थी।
5. भारतीय एजेंसी ने चंद्रयान-2 के साथ 13 पेलोड भेजे हैं, जिसमें स्पेक्ट्रोमीटर, कैमरे, राडार के साथ कई अन्य आधुनिक उपकरण शामिल हैं।
6. चंद्रयान-2 का प्रज्ञान रोवर 1m/s की गणना के साथ आगे बढ़ेगा। यह रोवर चंद्रमा की सतह पर मौजूद कैमिकल की जांच करेगा और इसको विक्रम लैंडर तक पहुंचाएगा। इसके बाद लैंडर विक्रम यह जानकारी पृथ्वी तक पहुंचाएगा।
7. इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस समय चंद्रमा पर हीलियम गेस की मात्रा अधिक है। यदि 1 टन हीलियम गेस को धरती पर लाया जाता है, तो इसकी कीमत करीब 1 अरब डॉलर हो सकती है। वहीं, चंद्रयान-2 में 2.5 लाख टन तक हीलियम गेस को लाया जा सकता है।
8. चंद्रयान-2 के लैंडर का नाम भारत के दिग्गज और लोकप्रिय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा है।
9. चंद्रयान-2 में अमेरिका के पेलोड को रखा गया है। यह चंद्रमा से लेकर पृथ्वी की दूरी की जानकारी हासिल करेगा।
10. चंद्रयान-2 को बनाने में 1000 करोड़ रुपए का खर्च आया है।
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आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 के दिन लॉन्च किया था। पहले इस मिशन को 15 को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते इसको रोक दिया था। 23 जुलाई और 6 अगस्त के बीच चंद्रयान-2 ने धरती के चक्कर लगाए थे।
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