Chandrayaan 2 Mission: पृथ्वी से चांद की सतह तक के 40 दिनों में सिर्फ ये 15 मिनट होंगे सबसे मुश्किल

चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) भारत का खास और महत्वपूर्ण मिशन है। वहीं, भारत आज इस मिशन से अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में विकसित देशों को पीछे छोड़ते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाला है।
भारत ऐसा देश बन जाएगा, जिसने दो बार चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पहुंचने की कारनामा किया है। आज भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) चंद्रयान-2 को श्री हरिकोटा सतीश धवन स्पेस सेंटर से 2.43 बजे लॉन्च करने वाला है। वहीं, चंद्रयान (Chandrayaan 2) चंद्रमा पर पहुंचने के लिए 40 दिनों का समय लेगा।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले भारतीय वैज्ञानिकों ने इस पर बहुत काम किया है और इसको 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था। लेकिन क्रॉयोजेनिक इंजन में लीक होने के कारण लॉन्च को रोक दिया गाया था।
वहीं, इसरो आज चंद्रयान को अंतरिक्ष में भेजेगा। आपको जानकार हैरानी होगी चंद्रयान-2 अपना 40 दिनों में सफर पूरा करेगा, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए लैंडिंग से पहले 15 मिनट बहुत तनावपूर्ण होंगे।
यह जानकारी इसरो चीफ के सिवन ने दी है। उन्होंने कहा है कि हमारे लिए लैडिंग से पहले 15 मिनट बहुत मुश्किल होने वाले हैं, क्योंकि इस दौरान हम ऐसा करेंगे, जो हमने कभी नहीं किया है।
चंद्रयान-2 की लैंडिंग से पहले 15 मिनट होंगे चुनौतीपूर्ण
इसरो के चीफ के सिवन ने आखरी 15 मिनट को लेकर कहा है कि चांद की सतह पर लैंड करवाने के लिए हम 30 किलोमीटर पहले ही यान की गति को कम कर देंगे। वहीं, विक्रम को चंद्रमा पर लैंड करवाना बहुत मुश्किल साबित हो सकता है और हम ऐसा पहली बार करेंगे।
उन्होंने आगे कहा है कि यह मुश्किल का समय इसरो के साथ हर एक देशवासियों के लिए भी होगा। जैसे ही भारत चांद पर सॉफ्ट लैंड करेगा, वैसे ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा करने वाला देश बन जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले चांद पर सॉफ्ट लैडिंग अमेरिका, रूस और चीन ने की है।
पृथ्वी और चंद्रमा के बीच लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी है। वहीं, आज चंद्रयान-2 का सफर शुरू हो जाएगा। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम लैंड से 4 दिनों पहले ही उतरने वाली जगह की जांच करेगा और इसके बाद 6 से लेकर 8 सितंबर के बीच लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान को निकलने में ही 4 घंटे लग जाएंगे। इसके पहले ही इसरो के वैज्ञानिकों को लैडिंग की फोटो मिल जाएगी। वहीं, वैज्ञानिक प्रज्ञान की मदद से चांद की सतह पर परीक्षण करना शुरू कर देंगे।
स्वेदेशी टेक्नोलॉजी से बने चद्रंयान-2 में 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर विक्रम और दो पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं। इसमें कुल पांच पेलोड भारत के, दो अमेरिका के, तीन यूरोप और एक बुल्गारिया के हैं। वहीं, जीएसएलवी एमके III चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। वहीं, इसरो ने डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर लैंडर का नाम रखा है और प्रज्ञान का वजन 27 किलोग्राम है।
आपको बता दें कि जीएसएलवी एमके III को बाहुबाली का नाम दिया है, क्योंकि यह रॉकेट 4 टन का वजन यानी पेलोड लेकर जा रहा है। वहीं, इस रॉकेट ने जीसैट-29 और जीसैट-19 का सफल लॉन्च किया है। वहीं, इसरो के चीन के सिवन ने कहा है कि वे अपने अगामी मिशन गगनयान के लिए जीएसएलवी मार्क-111 रॉकेट का उपयोग कर सकते हैं।
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