NASA जल्द एस्ट्रोनॉट्स को बचाने के लिए तैयार करेगा सुरक्षा कवच, जानें इसके बारे में

NASA जल्द एस्ट्रोनॉट्स को बचाने के लिए तैयार करेगा सुरक्षा कवच, जानें इसके बारे में
X
स्पेस एजेंसी नासा (NASA) जल्द ही एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा और मंगल ग्रह पर मौजूद हानिकारक रेडिएशन से बचाने पर काम कर रहा है। इसके लिए नासा ने कई गैजेट तैयार किए हैं, जो कि अंतरक्षित वाहनों पर लगाए जाएंगे, जिससे रेडिएशन फैलने से पहले एस्ट्रोनॉट्स को पता चल जाएगा।

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) दुनिया की सबसे विकसित एजेंसी है। इस एजेंसी ने बीते वर्षों में कई सारी असाधारण उपलब्धियां हासिल की हैं। वहीं, नासा अब मंगल (Mars) ग्रह पर इंसान को भेजने की तैयारी कर रहा है। इस महत्वकांक्षी मिशन को सफलता पूर्वक पूरा करने के लिए नासा के साथ दुनिया की अन्य दिग्गज स्पेस एजेंसियां मिल कर काम कर रही हैं। लेकिन मंगल ग्रह पर कुछ ऐसी हानिकारक किरणें हैं, जो कि इंसान को बहुत नुकसान पहुंचा सकती हैं।




ये भी पढ़ें :- Chandrayaan 2 First Images: विक्रम लैंडर ने दिखाई पृथ्वी की ये खूबसूरत तस्वीरें

नासा और अन्य टीमें मिलकर एस्ट्रोनॉट्स के लिए ऐसे वेस्ट और डिवाइस का निर्माण कर रही हैं, जो कि एंस्ट्रोनॉट्स को इन हानिकारक रेडिएशन से बचा सकेंगे। इसके अलावा नासा जल्द ही अपोलो मिशन की तरह एक नए मिशन की तैयारी कर रहा है। इस मिशन के तहत स्पेस एजेंसी अपने एस्ट्रोनॉट्स को लंबे समय के लिए चांद पर भेज सकती है। जाहिर सी बात है कि स्पेस में लंबे वक्त तक रहने से इंसानी शरीर को नुकसान के साथ कैंसर जैसी गंभीर बिमारी हो सकती है। यह सभी बिमारियां हानिकारक रेडिएशन की वजह से होती हैं। इस समस्या से निपटने के लिए नासा जल्द ही एस्ट्रोनॉट्स के लिए सुरक्षा कवच तैयार करेगा, जिससे शरीर पर किसी तरह का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।




नासा के वैज्ञानिक और इंजिनियर्स स्पेस सेंटर में खास तरह के स्पेसक्राफ्ट का निर्माण कर रहे हैं, जिससे स्पेस क्रू अंतरिक्ष में रेडिएशन और अन्य किरणों से सुरक्षित रहेंगे। नासा ने कहा है कि ऑरियन रेडिएशन सेंसिंग गैजेट से लैस होगा और इसको अंतरिक्ष वाहन में लगाया जाएगा। इसको हाईब्रीड इलेक्ट्रॉनिक रेडिएशन एसेसर (Hybrid Electronic Radiation Assessor) यानी हीरा का नाम दिया है। यह सिस्टम अंतरिक्ष यात्रियों को रेडिएशन की सुचना देगा, जिससे वह समय रहते ही इन घातक किरणों से बच सकेंगे।

वहीं, इस खास तकनीक के माध्यम से स्पेस सेंटर में बैठे वैज्ञानिक एस्ट्रोनॉट्स पर नजर रख सकेंगे। इस तकनीक को लेकर नासा के वैज्ञानिक कैरी ली ने कहा है कि मिशन के दौरान, यदि रेडिएशन फैलने लगती है, तो एस्ट्रोनॉट्स को पहले ही जानकारी मिल जाएगी। इससे वह पहले ही अपने लिए सुरक्षित स्थान खोज लेंगे। ली ने आगे कहा है कि हम मास को दोबारा से बना रहे हैं, जिससे क्रू मेंबर्स सुरक्षा स्थान के पास ही रहेंगे। इससे अंतरिक्ष में फैले हुए खतरनाक कण एस्ट्रोनॉट्स को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे।




ये भी पढ़ें :- Chandrayaan-2: देखें मिशन चंद्रयान की तैयारी का ये खास वीडियो, ऐसे उतरेगा चंद्रमा पर रोवर (प्रज्ञान)

आपको बता दें कि अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा 2024 तक मंगल ग्रह पर इंसान को भेज सकता है। इसके लिए दुनिया स्पेस एजेंसियां नासा के साथ मिलकर काम कर रही हैं। वहीं, इस मिशन को Artemis का नाम दिया जा सकता है।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

Tags

Next Story