कोटा से छात्रों को लाने पर नीतीश ने योगी पर कसा तंज, कहा यह लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सीएम योगी आदित्यानाथ ने कल यानी शुक्रवार को कोटा (Kota) से छात्रों को लाने के लिए 300 बसें भेजी थीं। इससे कोटा में फंसे राज्य के 7,500 से अधिक छात्रों को वापस लाया गया। बता दें कि कोटा में अब तक 82 कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। कोचिंग के हॉस्टल में भी एक छात्र पॉजिटिव पाए गए हैं।
इसके बाद होस्टल में रह रहे 11 छात्रों को क्वारैंटाइन (Quarantine) में भेज दिया गया है। इस मामले पर राजस्थान (Rajasthan) सरकार अशोक गहलोत ने कहा कि यूपी की तरह अन्य राज्य अगर तैयार हों तो उनके छात्रों को भी घर भेजे जा सकते हैं।
बताया जा रहा है कि यूपी के अलग- अलग जिलों के छात्र कोटा में तैयारी कर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते फंसे छात्रों को निकालने के लिए यह फैसला लिया गया था
नीतीश सरकार ने योगी के फैसले पर उठाया सवाल
इस फैसले के बाद चारों तरफ राजनीतिक का माहौल बनना शुरू हो गया। इस बीच सबसे पहले नीतीश सरकार ने योगी के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होनें कहा कि कोटा से लाए गए छात्रों का फैसला लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ है।
केंद्र सरकार को इस मामले को देखना चाहिए। हमारे भी कई लोग कोटा में फंसे हुए है, लेकिन हम उन्हें वापस लाने के बजाय वहां के राज्य सरकार से हर सुविधा उपलब्ध कराने की अपील की है। यूपी सरकार के इस फैसले से देश के दूसरे राज्यों के लोग भी सवाल उठाएंगे कि अगर यूपी सरकार कोटा से अपने छात्रों को वापस ला रहे हैं, तो आप अपने राज्य में छात्रों को वापस क्यों नहीं ला सकते हैं।
छात्रों को लाने की अनुमति, तो प्रवासी मजदूरों पर रोक क्यों
वहीं राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से अनुरोध किया गया था कि राजस्थान में लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया जाए। हालांकि इसके बाद भी कई छात्र बिहार आ गए थे। सभी को 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेज दिया गया।
अगर यूपी सरकार के जैसा हम भी फैसला लें तो कई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। दूसरा सवाल ये भी उठाया जाएगा कि अगर छात्रों को लाने की अनुमति दे रहे हैं, तो प्रवासी मजदूरों को आप किस आधार पर रोक रहे हैं।
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