बिहार: सीएम नीतीश कुमार ने अस्पताल में बेडों की संख्या बढ़ाने का आदेश दिया

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का दौरा किया। इस अस्पताल में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार से 89 बच्चों की मौत हो गई है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का दौरा करने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रभावित क्षेत्रों का पर्यावरण अध्ययन किया जाना चाहिए और एक विश्लेषण भी किया जाना चाहिए।
Bihar CM Nitish Kumar gave directions to convert Sri Krishna Medical College & Hospital (SKMCH) into a 2500-bed hospital (currently 610 beds), & 1500 beds should be arranged immediately in the 1st phase. A 'dharmshala' will also be built there for relatives & families https://t.co/RxZpL7CD85
— ANI (@ANI) June 18, 2019
नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है कि श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बेडों का बढ़ा का निर्देश दिया है। इस समय अस्पताल में 610 बेड हैं जिनकी संख्या अब बढ़कर 2500 की जाएगी। पहले फेज में 1500 बेड की तत्काल व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि रिश्तेदारों और परिवारों के लिए एक 'धर्मशाला' भी बनाई जाएगी।
सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा
बिहार में एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी बुखार) से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज (एसकेएमसीएच) में हालात का जायजा लेने मंगलवार को पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। स्थानीय लोगों ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिला प्रशासन के अनुसार, सरकारी एसकेएमसीएच और निजी केजरीवाल अस्पताल में अभी तक दिमागी बुखार से 105 बच्चों की मौत हुई है। एक बच्चे की मौत देर रात हुई है।
मुख्यमंत्री शनिवार से ही नयी दिल्ली में थे और सोमवार की शाम पटना लौटे। लौटने के बाद उन्होंने दिमागी बुखार के कारण पैदा हालात पर अधिकारियों के साथ आपात समीक्षा बैठक भी की। बैठक के बाद सरकारी महकमा कुछ हरकत में आया और प्रदेश सरकार ने कहा कि दिमागी बुखार से पीड़ित सभी बच्चों के इलाज का खर्च बिहार सरकार उठाएगी, फिर चाहे इलाज सरकारी अस्पताल में हो या निजी अस्पताल में। नीतीश मंगलवार को हालात का जायज लेने के बाद वहां मौजूद लोगों से मिले बगैर चले गए।
इससे पहले से नाराज वहां मौजूद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने नीतीश कुमार वापस जाओ के नारे लगाने शुरू कर दिए। लोगों ने उनके विरोध में जमकर प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री पहले ही एसकेएमसीएच का दौरा कर चुके हैं। फरियाद करने आए लोगों में एक ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल में शामिल स्थानीय विधायक सुरेश शर्मा से मुलाकात कर अपनी बात रखने का प्रयास किया पर अधिकारियों ने उनसे मिलने नहीं दिया।
हम उनकी गाड़ी के सामने भी गए तेजी उनका काफिला तेजी से वहां से निकल गया। विरोध और प्रदर्शन करने वालों का आरोप है कि मुख्यमंत्री की नींद बीमारी के महामारी बनने के 15 दिन बाद खुली है। उन्होंने अस्पताल में दवा और चिकित्सकों सहित अन्य आवश्यक संसाधनों की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक तबका आ रहा है, अस्पताल का दौरा कर रहा है और वादे करके लौट जा रहा है।
लेकिन बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है, उन्हें बड़ी उम्मीद थी मुख्यमंत्री उनसे मुकालत करेंगे और उनकी बात सुनने के साथ उनका ज्ञापन ग्रहण करेंगे और कोई बड़ी घोषणा करेंगे, लेकिन वह चुपके से निकल गए। राजद की नेता राबड़ी देवी ने आरोप लगाया कि राजग सरकार की घोर लापरवाही, कुव्यवस्था, महामारी को लेकर मुख्यमंत्री में उत्तरदायिता की कमी, असंवेदनशीलता और अमानवीय व्यवहार के कारण ग़रीबों के 100 से ज़्यादा मासूम बच्चों की चमकी बुखार के बहाने हत्या की गयी है।
उन्होंने ट्वीट किया है कि 14 बरस से ये लोग बिहार में राज कर रहे हैं। हर साल बीमारी से बच्चे मरते हैं। फिर भी रोकथाम का कोई उपाय नहीं, समुचित टीकाकरण नहीं। दवा और इलाज का सारा बजट ईमानदार सुशासनी घोटालों की भेंट चढ़ जाता है। बिहार का बीमार स्वास्थ्य विभाग ख़ुद आईसीयू में है।
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