लोकसभा चुनाव 2019: पीएम मोदी ने लगाया वंदे मातरम का नारा, मंच पर मौजूद नीतीश मुस्कुराए

लोकसभा चुनाव 2019: पीएम मोदी ने लगाया वंदे मातरम का नारा, मंच पर मौजूद नीतीश मुस्कुराए
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कई बार चुप्पी भी शब्दों की तुलना में कहीं ज्यादा बोल जाती है और हाल ही एक चुनाव रैली में यह देखना को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थकों के साथ वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाए। लेकिन मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठे रहें और मुस्कुराते रहें।

कई बार चुप्पी भी शब्दों की तुलना में कहीं ज्यादा बोल जाती है और हाल ही एक चुनाव रैली में यह देखना को मिला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समर्थकों के साथ वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाए। लेकिन मंच पर मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठे रहें और मुस्कुराते रहें। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। यह फुटेज बृहस्पतिवार 25 अप्रैल का है।

दरभंगा में एक चुनाव रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर मौजूद लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान सहित अन्य नेता 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप हैं और वह सिर्फ मुस्कुरा रहे हैं। यह वीडियो फुटेज कुछ समाचार चैनलों ने प्रकाशित किया। साथ ही, सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के अगले कदम के बारे में अटकलें लगा रहे हैं।

तीन तलाक और अनुच्छेद 370 जैसे विवादास्पद विषयों पर भाजपा के साथ जदयू के मतभेद और अलग - अलग रूख जगजाहिर हैं। गौरतलब है कि जदयू ने वर्ष 2017 में राजद से गठबंधन तोड़ लिया था और एक बार फिर भाजपा से हाथ मिला कर राज्य में नयी सरकार का गठन किया। टि्वटर पर इस फुटेज के साथ एक पत्रकार ने ट्वीट किया, नीतीश कुमार का दिलचस्प मामला। कभी चुनौती देने वाले हुआ करते थे और अब फॉलोअर हैं।

हालांकि, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने इस तरह की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "हमारी पार्टी मानती है कि देश के लिए श्रद्धा कई तरीकों से दिखाई जा सकती है और बेशक, वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाना उनमें से एक है। लेकिन हमारी संस्कृति एक विविध संस्कृति है और हमें एक-दूसरे के रीति-रिवाजों का सम्मान करना चाहिए और लोगों को एक विशेष तरीके से अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन करने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।

प्रसाद ने कहा परम वीर चक्र धारक अब्दुल हमीद के बलिदान ने हमें 1965 के युद्ध को जीतने में मदद की और 1971 की लड़ाई में हमारी जीत फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा सहित अन्य लोगों ने हासिल की। इसलिए, यह ध्यान में रखना होगा कि देश सभी का है और किसी को भी राष्ट्र के प्रति वफादारी साबित करने की उसकी इच्छा के खिलाफ कुछ भी करने या कहने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।'' उल्लेखनीय है कि नीतीश बीच में कुछ बरसों को छोड़ कर दो दशक से अधिक समय से भाजपा के सहयोगी रहे हैं।

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