बिहार के प्रथम सांसद बहादुर कमल सिंह का निधन, जानें ऐतिहासिक जीवन से जुड़ी बातें

लोकतंत्र के प्रथम सांसद और रियासती हुकुमत पर राज करने वाले महाराजा बहादुर कमल सिंह ने रविवार को हमेशा के लिए अलविदा कह गए है। बिहार के भोजपुर जिला में आज सुबह उनका निधन हो गया। वह 94 वर्ष की उम्र में लोगों से हमेशा के लिए विदा ले लिए।
जहां उनका अतिंम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक वे काफी सालों से बीमार चल रहे थे। मौत की खबर मिलते ही पूरे इलाके में शोक का माहौल बन गया है। साथ ही प्रदेश के तमाम नेताओं ने उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की है।
जानें महाराजा बहादुर कमल सिंह का ऐतिहासिक जीवन
1952 में बने थे प्रथम सांसद
महाराजा बहादुर कमल सिंह मात्र 32 साल की उम्र में पहली बार बक्सर संसदीय क्षेत्र से सासंद के रूप में जीत हासिल की थी। जनता के बीच उनके समाजिक सेवा लोगों के नजर में काफी गहरा छाप छोडे है, जिसे दुसरी बार 1962 में फिर से सांसद बनें।
1989 में भाजपा को दिया कमल का प्रतीक
राजनीति में लंबी उतार- चढ़ाव के बाद महराजा कमल सिंह ने भाजपा में कमल का प्रतीक दिया था। जिसके बाद उन्होनें 1989, 1991 में लोकसभा सीट से चुनाव तो लड़े, लेकिन वे जीत हासिल नहीं कर पाए। इस हार के बाद से उन्होनें दुबारा राजनीति में कदम नहीं रखें।
स्वास्थ्य, शिक्षा में महाराज बहादुर कमल सिंह का योगदान
राजनीति में मौजूद रहते हुए उन्होनें स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में काफी अहम भूमिका निभाए है। साथ ही भारत को और भी समृद्ध बनाने के लिए मुक्त शिक्षा की शुरुआत के साथ कई नए संस्थानों की भी स्थपाना की है। इसके अलावे प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के लिए भी काफी मद्दगार साबित हुए है।
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