शाश्वत गौतम ने लगाया आरोप, बिहार के युवाओं का डाटा चुरा रहे हैं प्रशांत किशोर

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आए दिन चर्चाओं में घिरे रहते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री के साथ वाद-विवाद होने के बाद हाल ही में आप के नेता संजय सिंह ने कहा है कि अगर प्रशांत किशोर चाहें तो वो हमारी पार्टी से जुड़ सकते हैं। इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं होगी। इसी क्रम में 2015 चुनाव में उनके साथ काम कर चुके शाश्वत गौतम ने उनपर बिहार के युवाओं के डाटा चोरी का आरोप लगाया है।
कौन हैं शाश्वत गौतम
शाश्वत गौतम कांग्रेस के साथ काम कर चुके हैं। साथ ही 2015 के चुनाव में उन्होंने प्रशांत किशोर के साथ भी काम किया है। शाश्वत गौतम 2002 से 2007 के दौरान अमेरिका में एक वरीय अधिकार के तौर पर भी काम कर चुके हैं। 25 फरवरी को उन्होंने प्रशांत किशोर और ओसामा खुर्शीद के खिलाफ पाटलिपुत्र थाने में एक केस दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रशांत किशोर और ओसामा खुर्शीद के साथ एक अन्य अज्ञात शख्स ने उनके साथ साजिश करके चोरी और धोखाधड़ी किया है। जिसके अन्तर्गत उन दोनों पर धारा 467,468,471,420,406 और 120 बी के तहत मुकदमा दायर किया गया है।
कौन हैं ओसामा खुर्शीद
ओसामा खुर्शीद जदयू छात्र की टिकट पर 2018-19 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के संयुक्त सचिव पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने शाश्वत के आरोप को गलत बताते हुए कहा है कि मैं शाश्वत गौतम पर मानहानि का केस करूंगा। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि ये बात सही है कि मैं शाश्वत को जानता हुं। मेरे दोस्त को फोन करके दिसंबर में उन्होंने मुझे बुलाया था। लेकिन जिस तरह का आरोप वो लगा रहे है, वो सरासर गलत है। लैपटॉप और डाटा चोरी से मेरा कोई संबंध नहीं है।
शाश्वत ने ये लगाया है आरोप
शाश्वत गौतम का आरोप है कि 'बात बिहार की' कार्यक्रम के जरिए प्रशांत किशोर बिहार के युवाओं का डाटा चुरा रहे हैं। वो युवाओं से फोन नंबर, पता और अन्य जानकारियां जुटा कर उसको बेच देंगे। लोग गलत इंसान पर भरोसा करके अपना डाटा उनको सौंप रहे हैं। ये बातें उन्होंने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कही। जबकि 25 फरवरी को उन्होंने जो मुकदमा दायर किया था। उसमें उन्होंने कहा था कि ओसामा खुर्शीद ने मेरा लैपटॉप गायब किया है जिसमें महत्वपूर्ण जानकारियां थी। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर ने जो डाटा प्रेश कॉन्फ्रेंस के जरिए शेयर की है, वो उनकी बौद्धिक संपदा से चोरी की गई है। शाश्वत ने कहा है कि उन्होंने 7 जनवरी 2020 को बिहार बात की डॉट इन नाम से रजिस्ट्रेशन करवाया था। जिसके बाद प्रशांत ने 18 फरवरी को इसकी बात करते हुए डाटा जारी किया था।
प्रशांत नें किया इन आरोपों से इनकार
प्रशांत किशोर ने इन आरोपों से साफ इनकार करते हुए कहा है कि यह बस मीडिया में आने का तरीका है। वो बस दो मिनट की प्रसिद्धि पाने के लिए ऐसा कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके जरिए वो बस छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पुलिस से आग्रह करते हुए कहा कि इस मामले की गंभीरता से जांच की जाए ताकि लोगों के सामने सच्चाई आ सके।
पुलिस कर रही है जांच
पुलिस इस केस की गंभीरता से जांच करने में जुट गई है। वो इस मामले में पर पहलुओं पर चर्चा करेगी और ये जानने की कोशिश करेगी कि ये मामला बौद्धिक संपदा की चोरी का है भी या नहीं। रिपोर्ट के अऩुसार जब किसी की रिपोर्ट, डाटा, ग्राफिक्स या इससे संबंधित कुछ भी पब्लिक डोमेन में आ जाए और फिर उसी डाटा को कोई दूसरा जारी कर दे, तभी बौद्धिक संपदा की चोरी का आरोप सिद्ध हो सकता है।
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