विदेश से करना चाहते हैं ग्रेजुएशन तो बरतनी होगी यह सावधानी, नहीं तो पड़ सकता है पछताना

Graduation From Abroad: इंटर के बाद ज्यादातर विद्यार्थी चाहते है कि उनका ग्रेजुएशन किसी अच्छे संस्थान से हो। क्योंकि आज के दौर में जॉब पाने के लिए एक अच्छे कॉलेज से ग्रेजुएशन करना बहुत जरूरी है। ज्यादातर स्टूडेंट्स को देखें तो वे विदेशों से पढ़ाई करना ज्यादा पसंद करते है। विदेशों से ग्रेजुएशन करना अच्छी बात है, क्योंकि इसके बाद से नौकरी के कई नई और बेहतरीन दरवाजे खुलने लगते है। लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि छात्र कही भी एडमिशन लेने से पहले कुछ बातों को हमेशा अपने दिमाग में रखे और सावधानियां बर्ते।
जानें कहा बरतनी है सावधानी
अगर आप विदेश से ग्रेजुएशन करने की योजना बना रहे है तो, यह पहले ही निश्चय कर लें कि आपको ग्रेजुएशन पूरा कर लेने के बाद आगे कहां रहकर अपना करियर बनाना है। अगर आप वापस भारत आकर जॉब करना चाहते है तो, बेहतर यही होगा की पहले भारत के ही किसी अच्छे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर के नौकरी हासिल कर ले फिर बाद में उच्य शिक्षा लेने के लिए आप विदेश का रुख कर सकते है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में सिर्फ उन ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों की ही मान्यता है, जिनकी पढ़ाई भारतीय विश्वविद्यालय से हुई हो।
वापस लौटकर यदि आप भारत में किसी सरकारी नौकरी या किसी भारतीय विश्वविद्यालय में आगे किसी पोस्ट से ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम में दाखिला लेना चाहेंगे तो विदेश से किए गए ग्रेजुएशन के आधार पर आपको इसकी अनुमति नहीं मिलेगी। अब अगर आपकी योजना आगे विदेश में ही बसने की है तो आप निशंकोच ग्रेजुएशन के लिए विदेश जा सकते हैं। आपको मालूम हो कि विदेश के कॉलेजों में एडमिशन के लिए सैट यानी स्कॉलैस्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट का स्कोर के साथ-साथ अंग्रेजी की प्रवीणता के लिए टॉफेल या आयेल्स स्कोर भी होना चाहिए
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