Motivational Story: IIT दिल्ली से पढ़ाई के बाद बिहार के इस लाल ने खड़ी की कंपनी, आज 3000 करोड़ से ज्यादा का है टर्नओवर

Motivational Story: IIT दिल्ली से पढ़ाई के बाद बिहार के इस लाल ने खड़ी की कंपनी, आज 3000 करोड़ से ज्यादा का है टर्नओवर
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Success Mantra: शशांक कुमार का बचपन ग्रामीण बिहार में बीता, फिर वहां से निकलकर आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन किया और 2012 में देहात कंपनी की नीव रखी।

Success Story: एक ऐसी एग्रीटेक कंपनी देहात (DeHaat) जो किसानों और कृषि से जुड़े लोगों को ऐप आधारित कृषि समाधान उपलब्ध कराने का काम करती है। इस कंपनी के अपने वेयरहाउस और फ्रेंचाइजी स्टोर भी हैं। यह फर्म अपने सेक्टर में सबसे पुरानी और बड़ी फर्म में से एक मानी जाती है। एक छोटी सी जगह से शुरू हुई कंपनी देहात ने अब गुरुग्राम में भी अपना कब्जा जमा लिया है। न सिर्फ दिल्ली एनसीआर बल्कि इसका हेड क्वार्टर बिहार की राजधानी पटना में भी है। कंपनी की हर वर्ष की अनुमानित कमाई प्रति माह करीब 230-250 करोड़ रुपये की है।

ऐसे बनाया सही मॉडल

देहात के 10,000 से ज्यादा स्टोर्स देश के11 शहरों में चल रहे हैं। इसके सह-संस्थापक और चीफ एग्जीक्यूटिव एक 37 वर्षीय युवा शशांक कुमार है। शशांक ने बताया कि देहात एक फुल स्टैक मॉडल कंपनी है। इसमें किसानों को कृषि चक्र, मिट्टी के परीक्षण, बुआई-रोपाई और बीज, खाद और कीटनाशकों से संबंधित आधुनिक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। यहां किसानों को कस्टमाइज तरीके से सलाह दी जाती है, ताकि वे कम खर्च में पूरा लाभ उठा सकें और मिट्टी की उर्वरता व जल स्तर भी बरकरार रख सके। इसके साथ ही यह कंपनी किसानों को वित्तीय सेवाएं, बीमा, फसल कटाई व बाजार से संबंधित सेवाएं भी प्रदान करवाती हैं।

कैसे हुई शुरुआत

शशांक कुमार का बचपन बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में बिता है। गांव से निकलने के बाद शशांक ने आईआईटी दिल्ली से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की लेकिन, आम लोगों की तरह उनके सपने आम नहीं थे। अन्य युवाओं की तरह किसी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने का सपना उन्होंने कभी देखा ही नहीं। साल 2012 में देहात कंपनी शुरू करने से पहले वे एक कंसल्टिंग फर्म में काम कर चुके थे। देहात कंपनी की संस्थापक टीम के चार सदस्य हैं जो आईआईटी और आईआईएम ग्रेजुएट्स हैं।

कैसे पाई सफलता

शशांक ने बताया कि, उन्होंने एक ऐसा मॉडल बनाया। जिसे किसानों को कम दाम में सामान मिल सकें और बिचौलियां गिरी खत्म हो जाये। 'अच्छे दामों का विकल्प पाकर और बिचौलियों के ना होने के कारण किसानों की बचत अच्छी हो जाती है।' इसी तरह उन्होंने शुरुआत की और फसल पर मिली साप्ताहिक सलाहों से पैदावार बढ़ी तो बेहतर दाम मिले। शशांक ने बताया कि किसान को तकनीक अपनाने के लिए तैयार करना खुद में एक बड़ी चुनौती है। 'तकनीक भविष्य के लिए उम्मीद लेकर आती है, वे किसान की आधुनिकतम तकनीकों को डिजिटल दुनिया से जोड़ते हैं।' अब के समय में वे 1.3 मिलियन किसानों के साथ काम कर रहे हैं और आने वाले चार सालों में वे 20-25 मिलियन किसानों के साथ काम करने का सपना देख रहे है। अगर बीते तीन सालों के आंकड़े देखें तो उनकी कंपनी ने 50 फीसदी की वृद्धि की है। हालांकि, शुरुआती सात सालों में वह बिल्कुल आगे नहीं बढ़ पाए थे। उनके हिसाब से यह समय तैयारी के लिए था। शशांक कहते हैं, '... जिस तरह फसल बढ़ने में समय लेती है, बिजनेस मॉडल और उद्यमी भी खुद को साबित करने और परिपक्व होने में भी समय लेते हैं।'

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