Career Tips : जीएसटी प्रैक्टिशनर में है करियर का ब्राइट स्कोप

Career Tips : जीएसटी प्रैक्टिशनर में है करियर का ब्राइट स्कोप
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जीएसटी (GST) यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के बाद से मार्केट (Market) में जीएसटी प्रैक्टिशनर्स और एक्सपर्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है। छोटे बड़े कारोबारियों के कारोबार से संबंधित रिटर्न जमा करने का जिम्मा ऐसे ही प्रोफेशनल्स संभालते हैं।

जीएसटी (GST) यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के बाद से मार्केट (Market में जीएसटी प्रैक्टिशनर्स और एक्सपर्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है। छोटे बड़े कारोबारियों के कारोबार से संबंधित रिटर्न जमा करने का जिम्मा ऐसे ही प्रोफेशनल्स संभालते हैं। से खासकर टैक्सेशन, अकाउंटिंग और डाटा एनालिसिस की योग्यता रखने वाले लोगों के लिए जॉब के मौके बढ़े हैं।

इसके अलावा, कंज्यूमर गुड्स, फार्मास्यूटिकल्स, रियल एस्टेट, बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर्स में जॉब के मौके बढ़ने की संभावनाएं हैं। टैक्स के लिए वकीलों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कॉस्ट अकाउंटेंट्स और टैक्स सलाहकारों की भारी मांग के साथ टेक्नोलॉजी के लिए कंपनियां ऐसे सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की तलाश में रहती हैं, जो जीएसटी रिटर्न का सरकारी डेटाबेस से मिलान करा सकें।ऐसे में कॉमर्स ग्रेजुएट और अन्य अकाउंट प्रोफेशनल्स जीएसटी से संबंधित कोर्सेस करके बन सकते हैं जीएसटी प्रैक्टिशनर...

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

ऐसे स्टूडेंट्स जिनके पास बीकॉम, एलएलबी, बीबीए, एमबीए, सीए और सीएस के अलावा कोई भी ग्रेजुएट डिग्री है, तो वे जीएसटी प्रैक्टिशनर के तौर पर काम कर सकते हैं। स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन के बाद सरकार द्वारा चलाए जा रहे जीएसटी से संबंधित वोकेशनल कोर्सेस को पास करने के बाद जीएसटी प्रैक्टिशनर बन सकते हैं। इसके लिए जीएसटी की वेबसाइट पर पर खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। यहां आपको फॉर्म मिलेगा, जिसमें अपने बारे में पूरा विवरण भरकर जमा कराना होगा। इसके आधार पर आपको सरकार की तरफ से एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। फिर आप यह काम शुरू कर सकते हैं। प्रैक्टिशनर, कारोबारियों को रजिस्ट्रेशन करवाने से लेकर रिटर्न दाखिल करने तक में मदद करते हैं। कॉमर्शियल टैक्स, केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर के रिटायर्ड अधिकारी भी जीएसटी प्रैक्टिशनर बन सकते हैं।

ऐसे पाएं एंट्री

अकाउंटेंटः अगर आप कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। टैक्सेशन का काम जानते हैं या फिर टैली, सैप जैसे अन्य सॉफ्टवेयर पर काम करने में माहिर हैं, तो अब आपके लिए नौकरियों की कमी नहीं है। आज हर छोटे-मझोले कंपनियों को अपना रिकॉर्ड मेंटेन रखने के लिए ऐसे प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होती है, जो सीए का भारी खर्च नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में अगर आप ने 12वीं कॉमर्स में किया है और आगे कॉमर्स में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, तो तीन साल का बैचलर ऑफ कॉमर्स (बीकॉम) का ऑप्शन चुन सकते हैं। कॉलेज/यूनिवर्सिटी से यह डिग्री मिलने के बाद किसी भी कंपनी में अकाउंटिंग, फाइनेंस, टैक्सेशन जैसे कार्यों में अपना शानदार करियर बना सकते हैं। साथ में कंप्यूटर अकाउंटेंसी का कोर्स करके खुद को मार्केट के मुताबिक अपडेट कर सकते हैं।

कंप्यूटर अकाउंटेंसीः कंप्यूटर अकाउंटेंसी के जानकारों का फ्यूचर अब बहुत अच्छा रहने वाला है, क्योंकि जीएसटी के तहत सारी कर व्यवस्था कंप्यूटर आधारित हो गई है। इसमें जो भी रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है या जीएसटी फाइल की जाती है, वह सब कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर के जरिए होता है। कंप्यूटर अकाउंटेंसी के जानकारों के लिए सरकारी और प्राइवेट कंपनियों में असिस्टेंट अकाउंटेंट, बैंक ऑफिस एग्जिक्यूटिव, एमआइएस एग्जिक्यूटिव जैसे जॉब्स के ढेर सारे मौके उपलब्ध हैं। कंप्यूटर अकाउंटेंसी का यह कोर्स कोई भी युवा कर सकता है। जरूरी नहीं कि इसके लिए कॉमर्स बैकग्राउंड या फाइनेंस की पढ़ाई ही आपने की हो। ऐसे में अगर आप 12वीं पास हैं या ग्रेजुएशन कर चुके हैं, तो किसी अच्छे कंप्यूटर संस्थान से यह कोर्स कर सकते हैं। यह कोर्स एक साल से लेकर दो साल की अवधि का है। कोर्स के अंतर्गत छात्रों को डाटा एनालिसिस एंड मैनेजमेंट, अकाउंट्स, बुककीपिंग, एमएस ऑफिस के अलावा टैली, सैप, आइएफआरएस जैसे नए सॉफ्टवेयर्स की जानकारी दी जाती है।

ऑपर्च्युनिटी

जीएसटी लागू होने के बाद से सीए और अकाउंटेंट जैसे प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ़ गई है। लेकिन इसके साथ ही आईटी प्रोफेशनल्स के लिए भी नौकरी के मौके उत्पन्न हुए हैं, क्योंकि जीएसटी एक टेक्नोलॉजी आधारित कर प्रणाली है। इसलिए भी जीएसटी, खाता-बही और कंप्यूटर के बारे में अच्छी समझ रखने वाले युवाओं के लिए ज्यादा मौके हैं। अगर आप कॉमर्स से ग्रेजुएट हैं, तो यह आपके लिए बेहतर मौका हो सकता है। इसके लिए आपको अकाउंटिंग की जानकारी के साथ टैक्स लॉ की मूलभूत समझ और अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की भी जानकारी होनी चाहिए। जानकारों के मुताबिक, परमानेंट जॉब्स की बात छोड़ भी दें तो जीएसटी के बाद अकाउंटेंट्स छोटे व्यापारियों के यहां अकाउंटिंग का काम कर अच्छा कमा सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसे पेशेवरों के लिए अभी सबसे ज्यादा मौके बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस और टैक्सेशन सेक्टर में हैं। इसके अलावा, एफएमजी, कंज्यूमर गुड्स, फॉर्मास्यूाटिकल, रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में अकाउंटेंसी के जानकारों की मांग बढ़ेगी।

सैलरी

इस फील्ड में कमाई इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस संस्थान के साथ जुड़े हैं। अगर किसी संस्थान के साथ जुड़ कर कार्य कर रहे हैं, तो शुरुआती दौर में 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह आराम से कमा सकते हैं। इसके अलावा रिटर्न भरने के आधार पर भी कमाई की जा सकती है।

प्रमुख संस्थान

-द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, नई दिल्ली

वेबसाइट- www.icai.org

-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस अकाउंट्स, नई दिल्ली

वेबसाइट- www.nifaindia.com

-लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ

वेबसाइट- http://www.lkouniv.ac.in

डॉ.भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा

वेबसाइट- https://www.dbrau.org.in

एक्सपर्ट व्यू मनीष मल्होत्रा चीफ ऑडिटर जीएसटी सेवा डॉटकॉम

जीएसटी एक्सपर्ट की बढ़ी है डिमांड

जीएसटी आने के बाद नि:संदेह व्यापारियों के लिए नई फॉर्मेलिटीज बढ़ी हैं, जिसके लिए उन्हें ऐसे प्रोफेशनल की आवश्यकता है, जो जीएसटी के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। इस नई प्रक्रिया के तहत व्यापारी को कस्टमर को जीएसटी वाला बिल देना होता है। इसके अलावा मंथली उसे जो रिटर्न भरनी होती है, वह भी ऑनलाइन है, जिसके लिए उसे जीएसटी के एक्सपर्ट अकाउंटेंट की जरूरत होती है।

साल भर में एक वार्षिक रिटर्न भी भरना है, उसके लिए भी उसे सीए या अकाउंटेंट की जरूरत होगी। इसलिए बिना अकाउंटेंट की हेल्प के वह न तो पक्का बिल दे पाएगा और न ही सरकार को रिटेन में यह बता पाएगा कि उसने कितनी सेल-परचेज की है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि आज हर व्यापारी को इनकी डिमांड है।

जीएसटी के बाद सीए, सीएस की मांग तो बढ़ी ही है। इसके अलावा, अगर आप 12वीं कॉमर्स से पास आउट हैं, तब भी जीएसटी की बारीकियां सीख कर बेसिक अकाउंटिंग सीख कर अपने लिए जॉब तलाश सकते हैं।

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