अब बिना PhD किए बन सकेंगे प्रोफेसर! UGC ने Professor of Practice पोस्ट को दी मंजूरी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की ओर से शुक्रवार को एक दिशा-निर्देशों जारी की गई हैं। इस नोटिस के अनुसार प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के लिए अब बिना औपचारिक शैक्षणिक योग्यता के भी इंडस्ट्री और प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स में कॉलेजों में पढ़ाने के लिए भर्ती किया जा सकेगा। यूजीसी के नियमों के अनुसार एक हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन में 10 फीसदी तक पदों पर प्रैक्टिस ऑफ प्रोफेसर के तौर पर भर्ती की जाएगी। इस पद पर अधिकतम कार्यकाल चार साल का होगा।
15 साल का वर्क एक्सपीरियंस
योग्य उम्मीदवारों के पास कम से कम 15 साल की सेवा यानी वर्क एक्सपीरियंस या अनुभव के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी और सामाजिक विज्ञान से लेकर मीडिया और सशस्त्र बलों तक के क्षेत्रों में जानकारी होनी चाहिए।
गाइडलाइन में क्या कहा गया?
यूजीसी की गाइडलाइन में कहा गया है कि नए पद के लिए एक फॉर्मल एकेडमिक क्वालिफिकेशन की जरूरत नहीं होती है। यदि उनके पास बेहतरीन प्रोफेशनल एक्सपीरियंस है, तो वे इन एक्सपर्ट्स को प्रोफेसर लेवल पर फैकल्टी मेंबर्स की भर्ती दे सकते है। साथ ही उनके लिए जरूरी पब्लिकेशन और अन्य पात्रता मानदंड से भी छूट दी जाएगी। हालांकि, उनके पास निम्नलिखित अनुभाग में निर्दिष्ट कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने का स्किल होना जरूरी हैं।
यूजीसी ने कहा कि यह पहल यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में फैकल्टी रिसोर्स को बढ़ावा देने के लिए की गई है। साथ ही इससे असल दुनिया में जरूरी प्रैक्टिस और एक्सपीरियंस की जानकारी स्टूडेंट्स को क्लासरूम में मिलने में मदद करेगा। जिनके पास अक्सर जरूरी स्किल नहीं हो पाते है।
गाइडलाइंस में कहा गया है कि कई उद्योग अब स्नातकों को नियुक्त देते हैं तो उन्हें रोजगार देने से पहले ट्रेनिंग देते हैं। टीचिंग के इंडस्ट्री में एक्सपर्ट्स को इंडस्ट्री और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन दोनों को लाभ होगा।
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