कोरोना महामारी में स्कूलों की वित्त व्यवस्था और अध्यापक हुए प्रभावित

कोरोना महामारी में स्कूलों की वित्त व्यवस्था और अध्यापक हुए प्रभावित
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कोरोना महामारी में स्कूलों की वित्त व्यवस्था और अध्यापक प्रभावित हुए हैं। जिन विद्यालयों की फीस कम है उन्होंने कोरोना काल में स्कूल बंद करने, परीक्षा स्थगित करने के कारण राजस्व पर भारी प्रभाव पडा है। कोरोना महामारी में विद्यालयों में पैसों का अभाव हो जाने से अध्यापकों के पेमेन्ट का भुगतान नहीं किया गया है।

कोरोना महामारी में स्कूलों की वित्त व्यवस्था और अध्यापक प्रभावित हुए हैं। जिन विद्यालयों की फीस कम है उन्होंने कोरोना काल में स्कूल बंद करने, परीक्षा स्थगित करने के कारण राजस्व पर भारी प्रभाव पडा है। कोरोना महामारी में विद्यालयों में पैसों का अभाव हो जाने से अध्यापकों के पेमेन्ट का भुगतान नहीं किया गया है।

वेतन का भुगतान नहीं होने से निजी विद्यालयों के अध्यापक बेरोजगारी के सिकार हो गये। अध्यापकों को अपनी आजीविका कमाने के लिए अन्य कामों का सहारा लेना पडा है। इससे स्कूल की शिक्षा व्यवस्था, अध्यापक, और विद्यालय प्रबंधन पर भारी बुरा प्रभाव पडा है।

निजी विद्यालयों में फीस का संग्रह एडमीशन प्रक्रिया शुरू करने के समय किया जाता है और बाकी की भीस का संग्रह मार्च-अप्रेल के महीनों में किया जाता है। मार्च-अप्रेल के महीने सत्र समाप्ति के साँकेतिक महीने माने जाते हैं। क्योकि इन महीनों में छात्रों के वार्षिक पेपर भी शुरू हो जाते हैं। वार्षिक पेपर शुरू होने से पहले शिक्षण संस्थान प्रवेश पत्रों का वितरण करता है उस समय विद्यालय प्रबंधन सारी फीस ले लेता है।

विशेष रूप से भारत में इन महीनों में किसानों के पास भी पर्याप्त पैसे की आमदनी होती है। क्योकि शीत ऋतु में बोई जाने वाली फसल की बिक्री शुरू हो जाती है। लाॅकडाउन के समय में किसी भी प्राईवेट विद्यालय ने फीस लेने का दावा नहीं किया है फिर कुछ अभिवावक फीस जमा कराने की रिपोर्ट कर रहे हैं।

तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकार ने निजी विद्यालयों को लाॅकडाउन के दौरान मार्च और अप्रेल के महीने की फीस नहीं लेने के आदेश दिये थे। हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में निजी विद्यालयों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी गई थी। महाराष्ट्र सरकार ने निजी विद्यालय प्रबंधनों को निर्देश दिये कि किसी भी अध्यापक का वेतन लाॅकडाउन की अवधि में रुकना नहीं चाहिए।

अब देश के आधे से अधिक निजी विद्यालय एक परिवर्तन करने पर विचार बना रहे हैं । निजी संस्थानों का यह विचार फीस कटौती, अध्यापकों के वेतन पर किया जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण विद्यालयों को मध्य मार्च से ही बंद कर दिया था। तो अधिकांश अध्यापकों ने मार्च का वेतन प्राप्त नहीं किया है। सर्वे करवाये जाने पर पता चला है कि अधिकांश ऐसे विद्यालय ग्रामीण क्षेत्र में हैं।





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