दिल्ली यूनिवर्सिटी में 3 साल में नहीं, अब इतने सालों में मिलेगी डिग्री, जानें एनईपी की योजना

दिल्ली यूनिवर्सिटी में 3 साल में नहीं, अब इतने सालों में मिलेगी डिग्री, जानें एनईपी की योजना
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दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) तहत चार साल के स्नातक पाठ्यक्रमों की शुरूआत पर विचार कर रहा है, फिलहाल में अंडर ग्रेजुएट कोर्सेस तीन साल के होते हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) तहत चार साल के स्नातक पाठ्यक्रमों की शुरूआत पर विचार कर रहा है, फिलहाल में अंडर ग्रेजुएट कोर्सेस तीन साल के होते हैं। वहीं डीयू शिक्षक संघ द्वारा इसका योजना का विरोध किया जा रहा है। सेंट स्टीफन कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर कि डीयू को शिक्षकों और छात्रों के साथ सलाह के बिना जल्दबाजी में इन फैसलों को लागू नहीं करना चाहिए

सितंबर में यूवार्सिटी ने एनपी के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया था, जिसे जून में घोषित किया गया था। समिति के सदस्यों ने पिछले सप्ताह पाठ्यक्रमों को अपने दिशानिर्देशों में जोड़ने के लिए एक ई-मेल प्राप्त किया था, जिसमें चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम भी शामिल थे। डीयू ने 2014 में फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) पेश किया था। इसे उसी साल छात्रों और शिक्षकों के भारी विरोध के बाद सरकार ने खत्म कर दिया था।

प्रस्तावित योजना के अनुसार पाठ्यक्रमों को चार वर्षों में बड़ी मात्रा में प्राप्त करने के लिए सम्मान दिया जाता है। छात्रों को तीन साल में ऑनर्स की डिग्री नहीं मिलेगी। सम्मान पाठ्यक्रम प्रदान नहीं करने वाले भाषा पाठ्यक्रम और छोटे विभाग बंद हो जाएंगे। और, यदि छात्र पहले और दूसरे वर्ष के बाद पाठ्यक्रम से बाहर निकलने का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें क्रमशः एक प्रमाण पत्र और डिप्लोमा मिलेगा। हालांकि, अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

विरोध की वजह

विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने कहा कि डीयू चार साल के कार्यक्रमों को फिर से लागू करके गलती को दोहराएगा। डीयू ने 2014 में फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (FYUP) पेश किया था। इसे उसी साल छात्रों और शिक्षकों के भारी विरोध के बाद सरकार ने खत्म कर दिया था।

तीन साल के यूजी कोर्सों में बदलाव कारण

एनपीई तहत डीयू तीस साल को ऑनर्स कोर्स को चार साल का किया जाएगा। इससे अब छात्र को ऑनर्स की डिग्री पूरे चार साल में ही मिल पाएगी, ना की तीन साल में। यदि कोई छात्र बीच में कोर्स को छोड़ता है तो उसे सर्टिफिकेट व डिप्लोमा दिया जाएगा। इससे ऑनर्स कोर्सेस नहीं करने वाले लैंग्वेज कोर्सेस और छोटे विभाग बंद हो जाएंगे

अकादमिक काउंसिल की सदस्य सीमा दास ने कहा मेरा सुझाव है कि तीसरे वर्ष तक कोर पेपर की संख्या को कम करना नहीं है, यह देखते हुए कि चौथे वर्ष में यदि किसी छात्र से शोध करने की अपेक्षा की जाती है, तो कोर पेपर का ज्ञान प्रदान करेगा।

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