प्रवासियों के ऊपर डायस्पोरा स्टडीज कर बना सकते हैं करियर, विदेश मंत्रालय से दूतावास तक नौकरी के अवसर

प्रवासियों के ऊपर डायस्पोरा स्टडीज कर बना सकते हैं करियर, विदेश मंत्रालय से दूतावास तक नौकरी के अवसर
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दुनिया भर के लाखों-करोड़ों लोग अलग-अलग वजहों से अपने मुल स्थान को छोड़कर दूसरे देशों/इलाकों में रहने को मजबूर होते हैं। ऐसे प्रवासी लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत अध्ययन डायस्पोरा स्टडीज में किया जाता है। इस कोर्स और इसमें उपलब्ध जॉब संभावनाओं के बारे में जानिए।

दुनिया भर के लाखों-करोड़ों लोग अलग-अलग वजहों से अपने मुल स्थान को छोड़कर दूसरे देशों/इलाकों में रहने को मजबूर होते हैं। ऐसे प्रवासी लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत अध्ययन डायस्पोरा स्टडीज में किया जाता है। इस कोर्स और इसमें उपलब्ध जॉब संभावनाओं के बारे में जानिए।

प्रवासियों की जिंदगी को जानना और उनके बारे में सही निष्कर्ष तक पहुंचना अब अध्ययन का विषय बन गया है। प्रवासी जीवन के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन पहलू क्या हैं? उनके अतीत के अनुभव कैसी रहे हैं और भविष्य की राह क्या हो सकती है? इन सबके बारे में अध्ययन के लिए डायस्पोरा जैसे कोर्स को डिजाइन किया गया है। यह कोर्स नया है और देश दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हाल के वर्षों में लाए गए हैं।

इनके नाम पर अलग से सेंटर बनाए गए हैं। जो युवा परंपरागत विषय से हटकर इस तरह के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उनके लिए यह कोर्स खासा मददगार है। इस विषय में उच्च शिक्षा यानी स्नातकोत्तर से लेकर शोध करने वाले छात्र आगे अच्छा करियर बना सकते हैं।

डायस्पोरा स्टडीज स्ट्रक्चर

किसी भौगोलिक क्षेत्र के मूल निवासी विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारणों से जब दूसरे क्षेत्र या देश में जाकर प्रवास करते हैं या बसते हैं तो ऐसे निवासियों के जीवन के विविध आयामों का अध्ययन डायस्पोरा के अंतर्गत किया जाता है। इसमें वे लोग शामिल होते हैं, जो विदेश में रहते हुए भी अपने देश की सांस्कृतिक परंपराओं को निभाते रहते हैं।

जैसे विश्व का सबसे बड़ा डायस्पोरा भारतीयों का ही है। करीब तीन करोड़ की भारतीय आबादी संसार के अनेक देशों में फैली हुई है। इन्हें जानने और अपने मूल वतन से जोड़े रखने के लिए कई तरह की कैटेगरी बनाई गई है, जिनमें अनिवासी भारतीय, एनआरआई और भारतीय मूल पीआईओ प्रमुख है। इन्हें भारत सरकार अलग-अलग तरह से नागरिकता भी प्रदान कर रही है।

कोर्स कंटेंट

ऐसे प्रवासी नागरिकों के स्वरूप को जानने और अतीत से लेकर वर्तमान तक उनमें आए हुए बदलाव का अध्ययन करने के लिए एमए और एमफिल स्तर पर कोर्स तैयार किए गए हैं। एमए में अंतर अनुशासनिक परिप्रेक्ष्य में डायस्पोरा और पारदेशीय समुदाय को जानने की पहल की जाती है। कहने का मतलब यह कि इसमें इंटरडिसिप्लिनरी एप्रोच की जरूरत पड़ती है। कोर्स में भारतीय डायस्पोरा का परिचय, उनकी राजनीतिक और आर्थिक प्रक्रियाएं और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं को अध्ययन का विषय बनाया गया है।

कोर्स के प्रकार

आमतौर पर यह कोर्स एमए, एमफिल और पीएचडी स्तर पर ही कुछ ही विवि में उपलब्ध हैं। इसमें दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। स्नातक डिग्री धारी चाहे वह किसी भी विषय का हो, इसमें दाखिला ले सकता है। पीएचडी में दाखिला प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर दिया जाता है। कहीं-कहीं सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स के रूप में भी इसे शुरू किया गया है। हालांकि बेहतर डिग्री कोर्स ही है।

जॉब के अवसर

इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने वाले को विश्वविद्यालयों में अध्यापन की नौकरी मिल सकती है। जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं, उनके लिए विभिन्न रिसर्च संस्थाओं में रिसर्च असिस्टेंट या रिसर्च एसोसिएट की भूमिका उपलब्ध है। यह विषय छात्रों को समाज सेवा से जुड़े एनजीओ और समूह में भी कार्य मुहैया कराता है। देश विदेश में ऐसे कई एनजीओ खुल गए हैं। विदेशी दूतावासों और विदेश मंत्रालय में भी ऐसे विशषज्ञों की जरूरत पड़ रही है, जो डायस्पोरा में विशेष रुचि रखते हैं। विदेशों में इसको लेकर कई तरह के रिसर्च हो रहे हैं। जो युवा विदेश जाकर कार्य करने के इच्छुक हैं वे स्कॉलरशिप लेकर जा सकते हैं। सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाएं भी इस दिशा में कार्य के अवसर मुहैया करा रही हैं।

प्रमुख संस्थान

-महात्मा गांधी हिंदी अंतरराष्ट्रीय विवि, वर्धा

वेबसाइट: www.hindivishwa.org

-केंद्रीय विश्वविद्यालय गुजरात, गांधीनगर

वेबसाइट: www.cug.ac.in

-केंद्रीय विश्वविद्यालय केरल, कसारागोड

वेबसाइट: www.cukerala.ac.in

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