किसान की बेटी ने सरकारी स्कूल में पढ़कर मेरिट में बनायी जगह, एक किलोमीटर दूर जाती थी पढ़ने

मजदूर की बेटी ने जिले की लाज रख ही है। जिले के सरायपाली क्षेत्र के छोटे से गांव बोंदा में रहने वाली मजदूर परिवार की बेटी ने वो कर दिखाया है, जिसकी उम्मीद साधन संपन्न छात्रों से की जाती है। कला विषय में मोहंदा के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली बारहवी की छात्रा पुष्पा चौधरी ने 95.20 प्रतिशत अंक लाकर प्रावीण्य सूची में 9वां स्थान प्राप्त कर जिले को गौरवान्वित किया है।
छात्रा पुष्पा चौधरी ने हरिभूमि से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि पिता प्रफुल्ल चौधरी किसान है, जिनके पास काफी कम जमीन है और माता अहिल्या चौधरी गृहणी है। पांच भाई-बहन में चौथी संतान पुष्पा पढ़ाई करने के लिए अलावा घर व खेतीखार के कामकाज में भी माता-पिता और भाइयों-बहनों का हाथ बंटाती है और उसके बाद गांव से एक किलोमीटर दूर स्कूल जाकर अध्यय़न करना रोजमर्रा के कार्यों में शामिल है।
पुष्पा बताती है कि वह कॉलेज की प्रोफेसर बनना चाहती है। 12 वीं बोर्ड की परीक्षा के लिए स्कूल के अलावा घर में वह रोजाना 5-6 घंटा अध्ययन करती रही। बड़े शहरों के महंगे स्कूल में पढ़ने के लिए उनके मां-पिता के पास पर्याप्त रकम नही होने के बावजूद वह गांव से 5 किमी दूर सरायपाली से अपना अध्ययन जारी रखने की बात कहती है। मोहंदा स्कूल के प्राचार्य टीपी पटेल ने बताया कि व पढ़ाई के साथ ही खो-खो की भी अच्छी खिलाड़ी है। साथ ही उसने राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में भी प्रथम स्थान अर्जित कर चुकी है।
भूगोल और अर्थशास्त्र में पाए पूरे के पूरे अंक
आर्ट्स सब्जेक्ट में प्रावीण्य सूची में स्थान बनाना काफी मायने रखता है। वहीं यह सफलता तब और दोगुनी हो जाती है जब भूगोल और अर्थशास्त्र जैसे विषयों पर पुष्पा को 100 में 100 अंक मिलते हैं। शिक्षाविद भी पुष्पा को मिले अंकों की सराहना करने से नहीं चूक रहे।
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