IIM अहमदाबाद मामला : IPS रजनीश राय की नियुक्ति को लेकर गेंद गृह मंत्रालय के पाले में

IIM अहमदाबाद मामला : IPS रजनीश राय की नियुक्ति को लेकर गेंद गृह मंत्रालय के पाले में
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रजनीश राय (Rajneesh Rai) वर्ष 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनका नाम सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में वर्ष 2007 में गुजरात कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों डी़ जी़ वंजारा, दिनेश एम़ एन और राजकुमार पांडियन की गिरफ्तारी करने के चलते सबसे पहले सुर्खियों में आया था।

गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी रजनीश राय की देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट स्कूलों (प्रबंधन संस्थान) में से एक 'आईआईएम अहमदाबाद' में सहायक प्रोफेसर के रूप में इस साल के मध्य में की गई नियुक्ति को लेकर अब गेंद पूरी तरह से गृह मंत्रालय के पाले में आ गई है। क्योंकि इस मामले में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने गृह मंत्रालय को बीते 14 अक्टूबर को अपना जवाब सौंपते हुए यह साफ कर दिया है कि वह आईआईएम संस्थानों के अकादमिक मामलों में कोई दखल नहीं देता है। केवल संस्थान के प्रशासनिक मामलों तक ही उसकी निगरानी बनी हुई है। ऐसे में उन्हें अपनी इच्छा से किसी की भी नियुक्ति करने का पूरा अधिकार है।

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने इस पर एमएचआरडी से इस महीने की शुरूआत में जवाब तलब किया था। जिसके बाद मंत्रालय ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। अभी रजनीश राय आईआईएम अहमदाबाद में छात्रों को पब्लिक सिस्टम्स ग्रुप की शिक्षा दे रहे हैं। इतना ही नहीं संस्थान ने उनका नाम अपनी वेबसाइट की फैकेल्टी प्रोफाइल्स में अन्य प्रोफेसरों के साथ शामिल भी किया हुआ है।

गृह मंत्रालय की चिंता

सूत्रों ने यह भी बताया कि गृह मंत्रालय द्वारा एमएचआरडी से इस मामले पर जवाब पूछे जाने के दौरान अनौपचारिक रूप से यह तर्क दिया गया कि आईपीएस अधिकारियों की कैडर कंट्रोलिंग अथोरिटी गृह मंत्रालय है। इसलिए उन्हें कहीं पर भी नई नियुक्ति के लिए जाने से पहले विभाग से अपना रिकॉर्ड स्वीकृत कराना अनिवार्य है। लेकिन राय के मामले में ऐसा नहीं हुआ है। उनकी वीआरएस की अर्जी गृह मंत्रालय द्वारा खारिज कर दी गई है और वर्तमान में वह निलंबित भी हैं।

बावजूद इसके उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में नियुक्त किया जाना चिंताजनक है। क्योंकि अगर इसी तर्ज पर ही पुलिस या अन्य सेवाओं से जुड़े हुए लोग भी कोर्ट जाकर वीआरएस ले लेंगे तो गृह मंत्रालय और उसके द्वारा इसके लिए स्थापित की गई नियम-प्रक्रिया की धरातल पर उचित अनुपालना कैसे होगी? ऐसे में इस मामले को आगे रखकर उसकी मंशा एक नजीर कायम करने की है।

यूं चर्चा में आए राय

रजनीश राय वर्ष 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनका नाम सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में वर्ष 2007 में गुजरात कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों डी़ जी़ वंजारा, दिनेश एम़ एन और राजकुमार पांडियन की गिरफ्तारी करने के चलते सबसे पहले सुर्खियों में आया था।

बीते वर्ष 30 नवंबर 2018 को राय ने 50 वर्ष पूरे होने पर स्वैच्छिक निवृति (वीआरएस) के लिए केंद्र सरकार से जद्दोजहद की थी। लेकिन गृह मंत्रालय ने इसे स्वीकार नहीं किया था। जिसके बाद उन्होंने राज्य अदालत से लेकर कैट (सीएटी) तक का दरवाजा खटखटाया था।

यहां से उनके वीआरएस से लेकर किसी अन्य जगह पर नौकरी करने के अधिकार को संरक्षण प्रदान किया गया। उधर गृह मंत्रालय ने इसे अस्वीकार करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। इस तमाम कवायद के दौरान राय आंध्र-प्रदेश के चित्तूर में सीआरपीएफ के काउंटर इसरजेंसी एंड एंटी-टेरेरिज्म स्कूल में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर नियुक्त थे।

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