गरीबी सूची और सर्वर में फंसा RTE, इस वर्ष खाली रह जाएंगी 4 हजार से ज्यादा सीटें

राइट टू एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में गरीब छात्रों को सीटें आबंटित करने की योजना सर्वर में फंस कर रह गई है। 2 मई को लॉटरी निकालने के दौरान हुई गड़बड़ियों को देखते हुए इसे रद्द कर दोबारा सीटें आबंटित करने की बात तो उच्च अधिकारियों ने कह दी, लेकिन कोई लिखित आदेश जारी नहीं होने के कारण शुक्रवार को दिनभर स्कूलों में अधिकारी, कर्मचारी, पालक और शिक्षक इंतजार करते रहे। सर्वर में हुई गड़बड़ी शुक्रवार दोपहर तक ठीक नहीं हो सकी थी। सर्वर में सुधार के बाद पुरानी लॉटरी रद्द कर नई लॉटरी निकाली जानी है।
2 मई को लॉटरी के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थीं। पूरे जिले से शिकायत भेजे जाने का सिलसिला जारी रहा। सभी जिलों में एक जैसी ही समस्याएं सामने आ रही हैं। सीटों से अधिक छात्रों का चयन होने, अपात्र घोषित किए गए आवेदनकर्ताओं के नाम निकलने जैसी परेशानी सभी जिलों में रही। शुक्रवार को भी लॉटरी के संदर्भ में कोई विशेष कार्य नहीं हो सके।
स्कूटनी की भी दिक्कतें
रायपुर जिले में आरटीई के तहत 9,059 सीटें हैं। इनमें प्रवेश के लिए 14,300 आवेदन आए हैं। नियमानुसार इस वर्ष केवल उन्हीं के आवेदन मान्य होंगे, जिनका नाम गरीबी सर्वेक्षण सूची 2008 अथवा 2012 में है। स्कूटनी करने के बाद सामने आए तथ्यों से अधिकारी भी हैरान हैं।
केवल 5 हजार आवेदनकर्ताओं के ही नाम गरीबी सर्वेक्षण सूची में हैं। जिनके दस्तावेजों में कमी है, उन्हें पूरा करने आवेदनकर्ताओं को कुछ वक्त भी दिया गया था। इसके बाद भी कई आवेदनकर्ता आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने में नाकामयाब रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष 4 हजार के लगभग सीटें खाली रह जाने की आशंका है।
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