उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेज में आज भी खेला जाता है रैगिंग का घिनौना खेल, छात्रों को कपड़े उतारने पर किया मजबूर

Ragging: रैगिंग भारत में सबसे अधिक परेशानी वाली समस्याओं में से एक रही है। देश भर के कई शिक्षण संस्थानों में रैगिंग एक अपराध से अधिक एक आदर्श बन गया है, जिसके कारण जीवन बिखर गया है और युवा असहाय हो गए हैं। कुछ मानसिक विकार विकसित करते हैं, कुछ अपने जीवन को समाप्त करने का विकल्प चुनते हैं जबकि कई अन्य की भी रैगिंग के बल पर हत्या कर दी जाती है। ऐसे कई लोगों की कहानियां सुनी हैं जिन्होंने इस तरह के अंतहीन आघात को झेला है और जिनके पास इस तरह के मुद्दों के खिलाफ बोलने की ताकत नहीं है। बीते कुछ दिनों में एक बार फिर से देश में रैगिंग के मामले बढ़ते जा रहे है। अब रैगिंग का एक नया मामला उत्तराखंड से सामने आया है।
रैगिंग के आरोप में सात स्टूडेंट्स हुए निलंबित
जूनियर छात्रों की रैगिंग के आरोप में एमबीबीएस के सात छात्रों को तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है। घटना 11 नवंबर को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान के छात्रावास में हुई थी। पीड़ितों में से एक के द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, एनएमसी में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, सात वरिष्ठ छात्रों ने कथित तौर पर जूनियर छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें छात्रावास की छत पर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया।
कॉलेज प्रशासन ने शुरू की जांच
कॉलेज प्रशासन ने एक पैनल गठित कर मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रिंसिपल चंद्रमोहन सिंह रावत के अनुसार सात छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। प्रिंसिपल ने कहा है कि यदि ऐसा दोहराया जाता है, तो उस छात्र का निलंबन पूरे सत्र के लिए होगा।
रैगिंग के नाम पर उतरवाए छात्रों के कपड़े
सात निलंबित छात्रों में से पांच 2019 बैच के और दो 2020 बैच के हैं। रिपोर्टों के अनुसार, सात वरिष्ठों ने अपने चेहरे को ढका हुआ था, कथित तौर पर पिटाई की और 40 जूनियर्स को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया।
मामला प्रशासन के संज्ञान में तब आया जब एक पीड़ित छात्र के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराने के लिए कॉलेज का दरवाजा खटखटाया। इस पर अन्य छात्रों ने भी आपबीती सुनाई। कॉलेज के अधिकारियों ने मामले को देखना शुरू कर दिया और तुरंत कार्रवाई की गई।
अतीत से ही है अनुशासनात्मक रिकॉर्ड
कॉलेज के अधिकारियों के अनुसार, निलंबित छात्रों के अतीत में भी कई अनुशासनात्मक मुद्दे थे। गठित पैनल ने पीड़ितों के लिखित बयान और दोषियों के साथ उनकी बातचीत के बाद कार्रवाई की।
पढ़ाई को जारी रखने के लिए देना होगा व्यावहारिक परीक्षा
सात छात्रों को अब सभी शैक्षणिक सत्र गतिविधियों से रोक दिया जाएगा। कॉलेज के प्राचार्य के अनुसार, छात्रों को एक व्यवहार एसाइमेट के तहत जाना होगा और इसे पास करने के बाद ही उन्हें कॉलेज में अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।
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