इतिहास बन जाएगा UGC, एमएचआरडी ने तैयार किया भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग का अंतिम प्रारूप

इतिहास बन जाएगा UGC, एमएचआरडी ने तैयार किया भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग का अंतिम प्रारूप
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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इनकी जगह पर एकल उच्च-शिक्षा नियामक यानि भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग (एचईसीआई) के गठन की कवायदें तेज कर दी हैं। उच्च-शिक्षा विभाग के सचिव आर.सुब्रमण्यम ने बताया है कि भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग के लिए पूर्व में बनाए गए एक प्रारूप पर मंत्रालय ने बीते करीब साल भर पहले से ही विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर सुझाव लेने की प्रक्रिया शुरु की हुई थी।

करीब तीन महीने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) पूरी तरह से इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे। क्योंकि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इनकी जगह पर एकल उच्च-शिक्षा नियामक यानि भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग (एचईसीआई) के गठन की कवायदें तेज कर दी हैं।

इस बाबत एक प्रारूप को अंतिम रूप देकर उसे अंतर-मंत्रालयी परामर्श लेने के लिए भेजा गया है। इसके बाद मंत्रालय की योजना है कि पहले कैबिनेट और उसके बाद इस साल के अंत यानि दिसंबर में होने वाले शीतकालीन सत्र में इसे संसद की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। वहां से हरीझंडी मिलने के बाद कानून की शक्ल में इसकी अनुपालना शुरु हो जाएगी।


पीएमओ में दी प्रस्तुति

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग के सचिव आर.सुब्रमण्यम ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग के लिए पूर्व में बनाए गए एक प्रारूप पर मंत्रालय ने बीते करीब साल भर पहले से ही विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर सुझाव लेने की प्रक्रिया शुरु की हुई थी। इसमें देश के तमाम राज्य भी बड़े पैमाने पर शामिल हुए। पूरी प्रक्रिया में कुल करीब 12 हजार सुझाव मंत्रालय को मिले। उसके बाद पुराने प्रारूप में कुछ संशोधन कर एक अंतिम प्रारूप तैयार किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय में भी एक व्यापक प्रस्तुति दी गई और अब अंत में सबकी सहमति से इस पर सभी मंत्रालयों से चर्चा की जा रही है।


एक नियामक, एक कानून लक्ष्य

उन्होंने यह भी कहा कि एक नियामक बनाने के पीछे मंत्रालय का उद्देश्य रेगुलेशन को कम करना और सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ाना है। वर्तमान में यूजीसी और एआईसीटीई के बीच कई मुद्दों को लेकर टकराव देखने को मिलता है। लेकिन अब भारतीय उच्च-शिक्षा आयोग के जरिए देश में एक नियामक और एक कानून के लक्ष्य की प्राप्ति होगी। इससे अधिकार क्षेत्र में टकराव नहीं होगा और अप्रांसागिक नियामक प्रावधानों को भी दूर करने में मदद मिलेगी। इस नई संस्था का मूल काम केवल रेगुलेशन का होगा। जबकि वित्तीय मामलों के लिए मंत्रालय द्वारा अलग से एक बॉडी का गठन किया जाएगा।

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