विश्वभारती के कैंपस के लिए एचआरडी को नहीं मिलेगी सीआईएसएफ की सुरक्षा

पश्चिम-बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित देश के प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय 'विश्वभारती' के कैंपस की लगातार गड़बड़ा रही सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने की जिम्मेदारी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) नहीं संभालेगा। क्योंकि इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन की मांग पर हाल ही में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा सीआईएसएफ के महानिदेशक को भेजे गए पत्र के बाद जो जवाब उसे मिला है। उसे देखकर अब मंत्रालय ने अपना इरादा बदल लिया है। एमएचआरडी का कहना है कि उसके पत्र के जवाब में सीआईएसएफ ने अपनी अलग-अलग जगहों पर तैनाती को लेकर मंत्रालय को उस व्यापक नियम-प्रक्रिया से रूबरू कराया है। जिसके बाद विभाग ने सीआईएसएफ के सुरक्षा घेरे को लेकर अपना निर्णय बदलते हुए अब इस कार्य के लिए बंगाल से सटे हुए किसी नजदीजी राज्य से लेकर उत्तर-प्रदेश व किसी अन्य निजी सुरक्षा एजेंसी को विश्वभारती के कैंपस की सुरक्षा का जिम्मां संभालने के लिए भेजने पर विचार करना शुरु कर दिया है। यहां बता दें कि कुछ साल पहले यूपी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की ओर से भी मंत्रालय को अपने कैंपस की सुरक्षा करने के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती करने की मांग की गई थी। लेकिन उसे एमएचआरडी ने स्वीकार नहीं किया था। विश्वभारती की ओर से मंत्रालय को भेजे गए पत्र में सुरक्षा कवर की दो लिहाज से मांग की गई। पहला अगले महीने 23 से 25 दिसंबर के बीच होने वाले पौष मेले से लेकर कैंपस की स्थायी अंदुरूनी सुरक्षा मुख्य है।
खर्च उठाना असंभव
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च-शिक्षा विभाग के सचिव आर.सुब्रमण्यम ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि विश्वभारती के कैंपस और उसके आसपास बीते दिनों में कई ऐसी असामान्य घटनाएं हुईं। गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के घर से नोबेल पुरस्कार तक चोरी हो गया। इस वजह से विवि प्रशासन के मन में असुरक्षा का भाव गहरा होता गया और उन्होंने मंत्रालय से मदद मांगी और हमने भी इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए सीआईएसएफ को पत्र लिखा था।
लेकिन इसके जवाब में फोर्स की तरफ से उसकी तैनाती को लेकर एक व्यापक नियम-प्रक्रिया का हवाला मंत्रालय को दिया गया है। जिसमें सुरक्षा की मांग करने वाली संस्था को ही संबंधित स्थान पर तैनात सभी सीआईएसएफ जवानों के रहने के लिए आवास (क्वार्टरों) से लेकर बाकी तमाम खर्च भी उठाने पड़ते हैं। इन सभी बिंदुओं का आकलन करने के बाद एमएचआरडी को लगा कि विश्वभारती के कैंपस में सीआईएसएफ की तैनाती में आने वाला खर्च काफी ज्यादा हो सकता है,
जिसका भार मंत्रालय के लिए उठाना किसी भी सूरत में मुश्किल नजर आ रहा था। इसलिए हमने सीआईएसएफ की मदद लेने का अपना इरादा ही बदल दिया। सीआईएसएफ के प्रवक्ता हिमेंद्र सिंह ने कहा कि एचआरडी मंत्रालय की ओर से इसे लेकर बीते दिनों एक पत्र भेजा गया था। जिस पर हमने उन्हें बल की तैनाती के नीति-नियम व अन्य जरुरी प्रक्रिया से अवगत करा दिया है।
जेएनयू, यूपी से करेंगे बात
सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर सीआईएसएफ का विकल्प बंद होने के बाद अब मंत्रालय ने पश्चिम-बंगाल से लगे हुए नजदीकी राज्यों के अलावा उत्तर-प्रदेश में स्थित शिक्षण संस्थानों, आईआईटी कानपुर से लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा उसकी अपनी सुरक्षा को लेकर अपनाए जाने वाले सुरक्षा एजेंसी जैसे तमाम मौजूदा विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
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