राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर CABE की बैठक में कोई अंतिम फैसला नहीं

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर CABE की बैठक में कोई अंतिम फैसला नहीं
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केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में कुल करीब 26 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने बैठक में शिरकत की। जिसमें दिल्ली, मध्य-प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, आंध्र-प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य मुख्य हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) 2019 के मसौदे को अंतिम रूप दिए जाने को लेकर शनिवार को राजधानी में आयोजित की गई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (Central Advisory Board Of Education) की अहम बैठक बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे ही समाप्त हो गई।

केंद्रीय मानव संसाधन संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने अंतिम संबोधन में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया कि कब तक वह नई शिक्षा नीति को देश के सामने रखेंगे यानि टाइमलाइन को लेकर वो खामोश रहे। लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि इसे अंतिम रूप देते वक्त मौजूदा बैठक के दौरान सामने आए सभी विचारों और सुझावों को उचित महत्व दिया जाएगा।

हरिभूमि को यह जानकारी इस बैठक में शामिल हुए एक शिक्षण संस्थान के मुखिया ने नाम न छापने की शर्त पर पर दी है। बैठक में उत्तराखंड के उच्च-शिक्षा मंत्री डॉ़ धनसिंह रावत ने कहा कि बहुत हो गया। अब इस साल के अंत तक नई शिक्षा नीति ले आइए। इसमें स्कूली और उच्च-शिक्षा के विषयों पर दो प्रस्तुतियां दी गईं। कुल करीब 26 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने बैठक में शिरकत की। जिसमें दिल्ली, मध्य-प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, आंध्र-प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्य मुख्य हैं।

जबकि छत्तीसगढ़ और हरियाणा के शिक्षा मंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए। केंद्र से केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरिन रिजिजू, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और केंद्रीय एमएचआरडी राज्य मंत्री संजय धोत्रे शामिल हुए। रिजिजू ने खेलकूद को शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की मांग करते हुए कहा कि बिना फिजीकली फिट हुए बच्चे ठीक ढंग से पढ़ाई भी नहीं कर सकते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग को रेड सिग्नल

एनईपी के मसौदे में सुझाए गए राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन के प्रस्ताव को कैब ने लगभग एक स्वर में खारिज करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी किसी शीर्षस्थ संस्था की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं है। डॉ़ कस्तूरीरंगन ने अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय को यह सुझाव दिया था कि जिस प्रकार से एटॉमिक एनर्जी के संदर्भ में एटॉमिक एनर्जी कमीशन देश में है। जिसकी अध्यक्षता सीधे पीएम करते हैं। उसी तर्ज पर पीएम की अध्यक्षता में शिक्षा के क्षेत्र में भी एक राष्ट्रीय आयोग गठित किया जाना चाहिए। राज्यों की ओर से केंद्र से शिक्षा में फंडिंग बढ़ाए जाने की मांग की गई।

राज्यों ने कहा कि केंद्र ने बच्चों को मिड डे मील के अलावा ब्रेकफास्ट देने का तर्क भी दिया है। इसके लिए फंड कहां से आएगा? दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, मेरे स्कूल दो पाली में चलते हैं। अगर वहां एमडीएम और ब्रेकफास्ट बनता रहेगा तो स्कूल केवल कुकिंग सेंटर ही बनकर रह जाएगा।

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की सराहना

कैब के सभी सदस्यों ने एकमत से शोध को लेकर गठित की जाने वाली नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के प्रस्ताव की सराहना की। इसमें एक सुझाव यह भी आया कि राज्यों में भी इसे बनाया जाना चाहिए। मध्य-प्रदेश की ओर से कहा गया कि आजादी के पहले जिन क्षेत्रों (आदिवासी और नक्सल प्रभावित इलाके) को हम सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते थे। आज वही सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। बीते 70 सालों में जो शिक्षा दी गई। उसके बाद भी यह इलाका बाकी से बिलकुल कट गया है। इसलिए मंत्रालय को इसके लिए एक विशेष नीति बनानी चाहिए ताकि यह मुख्यधारा से जुड़ सके। उन्होंने रिसर्च फाउंडेशन को राज्यों में गठित करने की मांग की।

फर्जी डिग्री पर नकेल

टीचर एजुकेशन को लेकर सभी शिक्षा मंत्रियों ने काफी चिंता और नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इनसे जुड़े हुए कई कॉलेज या संस्थान देश में चल रहे हैं, जिनमें शिक्षक को केवल नाम लिखाने के बाद अंत में डिग्री लेने के लिए यहां जाना पड़ता है। इन्हें ठीक किया जाना चाहिए। एनईपी में मौजूद प्राइवेट स्कूल एजुकेशन बोर्ड बनाने के सुझाव का दिल्ली समेत लगभग सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने कड़ा विरोध करते हुए कहा इसे नहीं बनाया जाना चाहिए। क्योंकि इसके बेहद दूरगामी परिणाम होंगे।

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