विवि-कॉलेजों में भरे जाएंगे शिक्षकों के 7,000 से अधिक रिक्त पद

केंद्रीय विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में लंबे समय से खाली पड़े हुए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द भरने का रास्ता साफ हो गया है। क्योंकि सरकार की ओर से इन्हें भरने के लिए न केवल 200 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से विवि-कॉलेजों को एक इकाई मानने के फार्मूले को स्वीकार कर लिया गया है। बल्कि इस संबंध में गुरुवार को केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक 2019 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने लोकसभा की मंजूरी के लिए पेश भी कर दिया है। अब यह बिल केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश 2019 की जगह ले लेगा।
भरे जाएंगे 7 हजार से अधिक पद
मंत्रालय के सूत्रों ने बिल के बारे में बताते हुए कहा कि कैबिनेट ने बीते 12 जून को ही इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी। इसके बाद मंत्रालय की मंशा मौजूदा बजट सत्र में ही इसे संसद से मंजूरी दिलाने की बनी हुई है। इसे देखते हुए ही बिल को लोकसभा में पेश किया गया है। संसद की हरिझंडी मिलते ही तमाम उच्च-शिक्षण संस्थानों में रिक्त पड़े हुए शिक्षकों के कुल करीब 7 हजार से अधिक पदों को सीधी भर्ती से भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। साथ ही समाज के कमजोर वर्ग के शिक्षकों की विवि, कॉलेज को एक यूनिट मानने की काफी पुरानी मांग भी इसके साथ पूरी हो जाएगी। अब विभाग, विषय को एक यूनिट नहीं माना जाएगा। इसके जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण भी सुनिश्चित होगा।
यह होगा प्रभाव
विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के साथ ही रिक्तियों को भरने के अलावा समाज के कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाले शिक्षकों को संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 के संवैधानिक प्रावधानों के जरिए मिलने वाले अधिकारों की अनुपालना भी सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अलावा सीधी भर्ती से सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिलेगा और शिक्षकों द्वारा पढ़ाने के मानदंड़ों में भी सुधार होगा।
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