रविवि शुरू करेगा रत्न विज्ञान की पढ़ाई, ऐसा करने वाला प्रदेश का एकमात्र संस्थान

रविवि शुरू करेगा रत्न विज्ञान की पढ़ाई, ऐसा करने वाला प्रदेश का एकमात्र संस्थान
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पं. रविशंकर शुक्ल विवि अगले शैक्षणिक सत्र से रत्न विज्ञान में विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। रविवि प्रदेश का पहला और एकमात्र ऐसा विवि है जहां रत्न विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम का संचालन होगा। अब तक भूगर्भ शास्त्र में एक अध्याय के रूप में छात्र इसका अध्ययन करते आए हैं।

पं. रविशंकर शुक्ल विवि अगले शैक्षणिक सत्र से रत्न विज्ञान में विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। रविवि प्रदेश का पहला और एकमात्र ऐसा विवि है जहां रत्न विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम का संचालन होगा। अब तक भूगर्भ शास्त्र में एक अध्याय के रूप में छात्र इसका अध्ययन करते आए हैं। लेकिन इस पर विशेष पाठ्यक्रम अब तक शुरू नहीं किया गया है। रविवि अध्ययनशाला में ही इस कोर्स का संचालन होगा। इसके लिए सिलेबस को अंतिम रूप दिया जा रहा है। किसी भी संकाय में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर चुके छात्र इसमें प्रवेश ले सकेंगे।

विवि द्वारा इसके लिए विशेष रूप से स्किल्ड प्राध्यापकों का नियुक्ति की जाएगी। लैब टेक्नीशियन सहित अन्य नियुक्तियां भी की जाएंगी जो छात्रों को प्रायोगिक और सैद्धांतिक ज्ञान देंगे। विद्या परिषद की स्थायी बैठक में इसे रखे जाने के बाद कार्यपरिषद की बैठक में इसे रखा जाएगा। ऑर्डिनेंस तैयार होने और मंजूरी के बाद शैक्षणिक सत्र 2021-22 से इसकी शुरुआत रविवि करेगा।

तीन तरह के कोर्स

प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवि में रत्न विज्ञान से संबंधित तीन तरह के पाठ्यक्रम संचालित होंगे। इसमें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम शामिल है। सर्टिफिकेट कोर्स एक वर्ष का होगा। डिप्लोमा कोर्स दो वर्ष का जबकि एडवांस डिप्लोमा कोर्स तीन साल का होगा। इस कोर्स में छात्रों को रत्न विज्ञान से जुड़ी सभी बारीकियां समझाई जाएंगी। उनकी पहचान से लेकर उन्हें तैयार करने तक की सभी प्रक्रिया इसमें शामिल होगी। प्रदेश में रत्न बाजार भी खुलने जा रहा है। इस क्षेत्र में स्किल व्यक्ति पर्याप्त संख्या में नहीं है। ऐसे में विवि प्रबंधन को उम्मीद है कि रोजगार की संभावनाएं इस पाठ्यक्रम में रहेंगी।

कार्यपरिषद की बैठक में

रत्न विज्ञान पाठ्यक्रम शुरू करने तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। कार्यपरिषद की बैठक में इसे रखा जाएगा। इसके बाद ही पाठ्यक्रम प्रारंभ होगा।


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