यूजीसी उपाध्यक्ष ने कहा शिक्षा को नहीं किया जा सकता स्वचालित

यूजीसी के उपाध्यक्ष ने कहा है कि शिक्षा को स्वचालित नहीं किया जा सकता है। कोरोना महामारी के दौर में शिक्षा के लिए लोग विभिन्न तरह की युक्तियों को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं किया जा सकता है। डाॅ भूषण ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में इन स्वचालित युक्तियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। आधुनिक समय में सीखने के जो तरीके हैं ये विश्वसनीय नहीं हैं।
यूजीसी के उपाध्यक्ष डाॅ भूषण पटवर्धन ने वेबिनार के माध्यम से बताया है कि तकनीकी उपकरण शिक्षकों का काम नहीं कर सकते हैं। तकनीकी उपकरणों का यह चलन भी भरोसे के लायक नहीं है। कोरोना के इस काल में तकनीकी उपकरणों के द्वारा सीखा जा सकता है और ज्ञान का विस्तार भी किया जा सकता है लेकिन इन उपकरणों की तुलना शिक्षकों से नहीं की जा सकती है। भारतीय संस्कृति में शिक्षक का जो स्थान है और आस्था वह अनोखी है। ये सारी चीजें तकनीकी उपकरणों से सम्भव नहीं है।
तकनीकी उपकरणों से व्यवहारिक ज्ञान नहीं सीखा सकता है जो मानव जीवन में वहुत महत्वपूर्ण होता है। जब शिक्षक छात्र मिलते हैं शिक्षक ज्ञान देता है और बालक शिक्षक से ज्ञान अर्जन करता है लेकिन शिक्षक के साथ-साथ वह आस-पास की वस्तुओं और माहौल से शिक्षक से भी ज्यादा सीखता है।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि शिक्षा को लचीला बनाया जाना चाहिए। जब शिक्षा लचीली होगी तो छात्र अपनी बोध सकती का इस्तेमाल करेगा, निरंतर सीखने का प्रयास करेगा, और सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिये जायेंगे उनका भी पालन करेगा। शिक्षा में निरंतरता वहुत जरूरी है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली ने छात्रों में ज्यादा व्यस्तता उत्पन्न कर दी है। लगातार कमप्यूटर पर नजर गढाकर बैठने से छात्रों की आँखों पर भी जोर पडता है। इसका लम्बे समय तक प्रयोग से छात्रों को मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड सकता है। यह भविष्य में छात्रों के लिए घातक साबित हो सकती है।
शिक्षा के आधुनिक तरीकों से शिक्षक, छात्र, और अभिभावक की जो चेन बनी हुई है वह टूट जायेगी। इससे भारतीय समाज का समाज चक्र भी टूट जायेगा।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS