राजधानी में मॉल्स का कारोबार ठप, अब तक 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित

रायपुर। कोरोना के कहर ने प्रदेश के मॉल्स कल्चर का कचूमर निकाल दिया है। राजधानी के ही पांच मॉल में मेंटेनेंस पर हर माह 40 से 50 लाख का खर्च हो जाता है। जहां तक आमदनी का सवाल है, लॉकडाउन में फूटी-कौड़ी की आय नहीं हो सकी है। मॉल्स के मालिकों को जहां माहभर में दो से पांच करोड़ तक का किराया मिल जाता है, वहीं एक मॉल में ही 15 से 20 करोड़ का कारोबार हो जाता है। रायपुर में अब तक करीब सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। आगे स्थिति को संभलने में कम से कम चार माह लगेंगे।
प्रदेश में भी लंबे समय से मॉल कल्चर ने महानगरों की तरह पैर पसारे हैं। मॉल्स का सबसे ज्यादा कल्चर राजधानी रायपुर में है। यहीं सबसे ज्यादा पांच मॉल हैं। पहले यहां आधा दर्जन मॉल थे, लेकिन अब एक बंद हो गया है। इसके बाद भिलाई में तीन और बिलासपुर और जगदलपुर में दो-दो, कांकेर में एक मॉल है। प्रदेश के अन्य शहरों में भी धीरे-धीरे मॉल्स कल्चर आता जा रहा है।
मेंटेनेंस ही पड़ रहा भारी
लॉकडाउन के कारण सभी मॉल की जान निकल गई है। एक मॉल के मेंटेनेंस पर ही 40 से 50 लाख खर्च हो जाता है। राजधानी के मॉल से जुड़े लोग बताते हैं। मॉल में उसकी साइज के हिसाब से खर्च कम ज्यादा हो जाता है। एक बड़े मॉल में हाउस कीपिंग पर 6 से 7 लाख, सुरक्षा गार्डों पर 7-8 लाख, तकनीकी स्टाफ पर 6 से 7 लाख और सबसे ज्यादा बिजली बिल पर बिजली का उपयोग न होने पर भी डिमांड चार्ज के रूप में 10 लाख तक का खर्च आ जाता है। इसी के साथ अन्य स्टॉफ का वेतन भी देना पड़ता है।
20 करोड़ तक टर्नओवर
राजधानी के मैग्नेटो, अंबुजा, सिटी सेंटर, 36 मॉल और कलर्स मॉल में हर माह 15 से 20 करोड़ का कारोबार होता है। मार्च के तीसरे सप्ताह से ही लॉकडाउन हो गया है। इधर अप्रैल में पूरे माह लॉकडाउन रहना है। ऐसे में इन मॉल में अब तक सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हो गया है। ऐसा ही हाल प्रदेश के अन्य स्थानों के मॉल का है।
किराए को लेकर स्थिति साफ नहीं
मॉल में जिन कारोबारियों ने किराए पर दुकानें लेकर रखी हैं, उसको लेकर बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। एक तरफ मॉल के मालिक किराया लेने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ यह बात सामने आ रही है कि किराएदार किराया देने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में क्या होगा, इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है। मॉल प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है, एक तो उनको वैसे ही नुकसान हो रहा है। मॉल में कई नामी कंपनियों को दुकानें शेयरिंग में देकर रखी गई हैं। इनकी सेल के हिसाब से कुछ प्रतिशत मॉल के मालिकों को मिलता है। एक माह से व्यापार न होने के कारण इनसे कोई पैसा मिलना नहीं है। मॉल प्रबंधन का कहना है, सरकार से राहत पैकेज की दरकार है। इसके लिए मांग भी की गई है। इनका कहना है, कम से कम बिजली का डिमांड शुल्क ही माफ कर देना चाहिए।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS