CG Cinema : कई सवाल छोड़ गईं अदाकारा नेहा साहू, मौत की वजह बीमारी या गरीबी?

रायपुर। छत्तीसगढ़ी की कई शॉर्ट मूवीज और फिल्मों में काम कर चुकीं कलाकार नेहा साहू का आज राजनांदगांव में निधन हो गया है। पिछले दिनों उनकी तबीयत खराब हुई। उपचार जारी था, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और आज अंतिम सांस ली।
मूलत: झारखंड की निवासी नेहा यहां पिछले कुछ सालों से छत्तीसगढ़ी सिनेमा में सक्रिय थीं। उन्होंने हाल ही में कोरोना पर आधारित एक शॉर्ट मूवी में काम किया था। इसके अलावा आने वाली फिल्म 'सोचत-सोचत प्यार हो गे' में भी वे बड़े पर्दे पर आने वाली थीं।
नेहा के निधन की खबर फैलते ही छत्तीसगढ़ी सिनेमा इंडस्ट्री में शोक का माहौल है।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्देशक, वरिष्ठ रंगकर्मी योग मिश्र ने नेहा साहू के निधन पर लिखा है-
''नेहा साहू छत्तीसगढ़ी फिल्मों की नवोदित अभिनेत्री कल राजनाँदगाँव के एक अस्पताल में उचित इलाज न मिलने के कारण असमय मौत का शिकार हो गईं।
मैं नेहा को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था। उनका 2 अप्रेल को छत्तीसगढ़ फिल्म प्रोड्युसर एसोसिएशन के पास आर्थिक सहायता के लिए निवेदन आया था। तब मैंने छत्तीसगढ़ प्रोड्यूसर एसोसिएशन की तरफ से उनका हाल-चाल लेने फोन पर बात की थी; तब वे बीमार नहीं थी।
उन्हें लाकाडाऊन के कारण दैनिक जरूरतों के लिए थोड़ी आर्थिक मदद की जरूरत थी। तब मैंने नेहा से पूछा था कि बेटा राजनाँदगाँव में रहती हो तो लाकडाऊन में घर क्यों नहीं चली गई? तब उसने बताया था कि घर वालों से उसकी बनती नहीं थी, क्योंकि घर वालों को उसका सिनेमा में काम करना पसंद नहीं था। बस इतना ही उससे मेरा परिचय हो पाया था।
छत्तीसगढ़ सिने एण्ड टेलिविजन प्रोड्यूसर एसोसिएशन (CCTP) जो करोना काल में अपने जरुरतमंद कलाकारों को मदद करती है। उसी क्रम में नेहा की भी जरूरत जान कर मदद कर दी गई थी। उसके बाद लगभग डेढ़ माह बाद अचानक प्रोड्युसर एसोसिएशन के पास नेहा की मेडिकल रिपोर्ट के साथ अस्पताल में भर्ती होने की खबर आती है। साथ ही आर्थिक सहायता के लिए 26 मई को उसके डायरेक्टर, प्रोड्यूसर एसोसिएशन को जानकारी देते हैं। और आनन-फानन में एसोसिएशन और एसोसिएशन के अन्य साथी सदस्य व्यक्तिगत तौर पर नेहा की सहायता कर उसके गृहग्राम राजनाँदगाँव उसे रवाना कर देते हैं क्योंकि नेहा के साथ रायपुर अस्पताल में रूकने वाला कोई नहीं परिजन मौजूद नहीं होता।
नेहा के राजनाँदगाँव जाने के एक सप्ताह बाद यह खबर आ जाती है कि नेहा नहीं रही!
अब सवाल यह उठता है कि नेहा की इस अकाल मृत्यु का कारण उसकी बीमारी को माना जाए? या लाकडाऊन को जिसकी वजह से काम के अभाव में आर्थिक दिक्कतों के कारण नेहा अपना उचित समय पर सही इलाज नहीं करवा पाई? क्योंकि नेहा को पीलिया व पथरी जैसी मामूली समस्या थी जिसका सही समय पर इलाज हो जाता तो शायद आज नेहा अपने सपनों के साथ हमारे बीच होती।
"मौत से भी बुरा होता है सपनों का मर जाना।"
इस लाकडाऊन में न जानें कितनी नेहाओं के सपने मरे होंगे, अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। जाने कितने कलाकार होंगे, जो लगातार हो रही इस तालाबंदी के कारण शूटिंग और स्टेज प्रोग्राम के आभाव में आर्थिक समस्याओं से रोज गुजर रहे होँगे?
हमारे जैसे एसोसिएशनों की भी लोगों को मदद करने के साधन सीमित हैं। जिससे जितना बन पड़ रहा है लोग, लोगों की मदद कर रहे हैं। हम लोग भी अपने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के कलाकारों और टेक्निशियनों की मदद कर रहे हैं पर यह सब राहत 'ऊँट के मुँह में जीरा' है। कुछ दिन की राहत जितनी हैं; बार-बार मदद लेने में लोग संकोच भी कर जाते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि सरकार यदि अब भी कलाकारों को इस आर्थिक बदहाली से निकालने कोई ठोस नीति नहीं बनाती है, तो सच मानिए कोरोना से कलाकार न भी मरें; तो अपनी आर्थिक दिक्कतों से जरूर मारे जाएंगे।
नेहा तुम्हें हार्दिक श्रद्धांजलि जहाँ रहो खुश रहो।
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