कलेक्टर के खिलाफ सरकार ने बैठाई जांच, मामला स्वास्थ्य विभाग का...

कलेक्टर के खिलाफ सरकार ने बैठाई जांच, मामला स्वास्थ्य विभाग का...
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बेमेतरा कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी के खिलाफ राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया है। जिस मामले में यह कार्रवाई की जा रही है, वह मामला उस समय का है, जब वे स्वास्थ्य विभाग में सेवारत थीं।

रायपुर। बेमेतरा कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी के खिलाफ राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया है। जिस मामले में यह कार्रवाई की जा रही है, यह मामला उस समय का है, जब वे स्वास्थ्य विभाग में सेवारत थीं। इसी दौरान उनके खिलाफ तीन जिलों के डॉक्टरों ने लिखित में शिकायत की थी। दूसरी और ये भी माना जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों के बीच लंबे समय चल रहे विवाद के कारण यह जांच प्रारंभ कराई गई है।

बताया गया है कि पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक को बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और रायपुर के कुछ डॉक्टरों ने लिखित शिकायत दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा और संजीवनी सहायता कोष के क्लेम में गड़बड़ी की जा रही है। स्पतालों से अवैध वसूली की जा रही है। जानबूझकर भुगतान रोके जा रहे हैं। भुगतान के बदले 5 से 10 फीसदी तक कमीशन की मांग की जा रही है। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सचिव निहारिका बारिक ने स्पेशल सेक्रेटरी हेल्थ भुवनेश यादव को जांच का जिम्म देते हुए दस दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन पेश करने को कहा है।

शिखा राजपूत तिवारी हाल ही में बेमेतरा कलेक्टर बनाई गई हैं। पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के एडिशनल सीईओ विजयेंद्र कटरे की संविदा नियुक्ति से जुड़े एक मामले में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव की नाराजगी के बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद स्वास्थ्य महकमे में इसे खींचतान से जोड़कर भी देखा गया।

इन बिंदुओं पर होगी जांच

जांच के लिए नियुक्ति अधिकारी भूवनेश यादव तीन मुख्य बिंदुओं पर जांच करेंगे। स्वास्थ्य विभाग से जारी निर्देश में कहा गया है कि आयुष्मान योजना, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना और संजीवनी सहायता कोष से जुड़े भुगतान के लिए क्या अस्पतालों से कमीशन की मांग की गई ? क्या अस्पतालों से संजीवनी सहायता कोष भुगतान दिए जाने में भेदभाव किया जा रहा है अथवा भुगतान में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है? क्या योजना से बाहर किए गए अस्पतालों का पुन: पंजीयन उच्च अधिकारियों के बिना अनुमोदन या अनुमति से संचालनालय स्तर पर ही कर लिया गया।

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