आदिवासियों के आंदोलन की आड़ में कुछ स्वार्थी नेता अपना हित साधने में जुटे हैं : आलोक दुबे

जगदलपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैलाडीला के 13 नंबर पहाड़ को बचाने आंदोलन कर रहे आदिवासियों की मांग पर, पेड़ों की कटाई करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने एवं 13 नंबर पहाड़ी पर उत्खनन सहित संबधित कार्यों पर तत्काल प्रतिबंध लगाने के निर्णय का कांग्रेस ने किया स्वागत।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने बैलाडीला के 13 नम्बर पहाड़ बचाने हो रहे आंदोलन का समर्थन करते हुये कहा कि कांग्रेस आदिवासियों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन करती है। पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने आदिवासियों के देवतुल्य पहाड़ को अडानी को बेचा है।
अब आदिवासियों के आक्रोश से बचने अपने बी टीम को आंदोलन में आगे कर आंदोलन की दिशा भटकाने में जुटे हैं। आदिवासियों के आंदोलन के आड़ में कुछ स्वार्थी किस्म के नेता अपना हित साधने में जुटे हैं।
ये वही लोग हैं जब स्व. अटल बिहारी जी की सरकार ने बालको को वेदांता को बेचा था तब भी यही लोग बालको को बेचने फैसले के खिलाफ मुख्य द्वार पर प्राण त्याग देने की धमकी दिया करते थे। बालको में हुए चिमनी हादसे के समय 50 से अधिक श्रमिकों की हुई मौत पर राजनीतिक रोटी सेकने एवं उद्योगपत्ति से अपना हित साधने के साथ इन्हीं नेताओ ने आंदोलन को खत्म कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
अब अडानी के खिलाफ हो रहे आंदोलन में खुद को छत्तीसगढ़ का हितचिंतक बताकर स्वहित साधने में जुटे हैं। असल में ये छत्तीसगढ़ की खनिज संपदाओं को उद्योगपतियों के हाथो में बेचने वाली भाजपा की बी टीम है जो उद्योगपतियों के एजेंट है। भाजपा की बी टीम आंदोलन में शामिल होती है मीटिंग करती है और फिर गायब हो जाती है और आंदोलन खत्म हो जाता है।
बैलाडीला 13 नंबर पहाड़ का दोहन करने अडानी को सौंपने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन एवं भाजपा की पोल आदिवासियों के बीच खुल गयी। जगजाहिर है, अडानी है तो भाजपा है। मोदी जी अडानी को जब तक लाभ पहुंचाते रहेंगे तब तक मोदी जी की कुर्सी सही सलामत रहेगी।
आलोक दुबे ने कहा कि मोदी और अडानी की मित्रता दुनिया से छुपी नही है। भाजपा और भाजपा की बी टीम अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए बयानबाजी कर रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह एवं भाजपा, अडानी को खदान देने के पक्ष में है कि विरोध में स्पष्ट करें।
भाजपा खुद को छत्तीसगढ़ का हित चिंतक और आदिवासियों के हितैषी मानती हैं, तो उनको बताना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान जब आचार संहिता लगी थी तब गुपचुप तरीके से अदानी ग्रुप के साथ बैलाडीला 13 तेरा नंबर पहाड़ को बेचने का सौदा क्यों किया? अब भारतीय जनता पार्टी कि भ्रष्टाचार उजागर हो गया है।
यदि भाजपा नेताओं में क्षमता है और वे आदिवासियों का भला चाहते हैं तथा छत्तीसगढ़ की वन संपदा को लूटने से बचाना चाहते हैं तो अपनी गलती को स्वीकार करते हुए केंद्र की मोदी सरकार से अडानी को दिए खदान के आवंटन को रद्द कराने की मांग करना चाहिए।
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