मलाईदार सेक्शन छिना तो बाबूओं ने किया बवाल, बोले- ये फैसला मंजूर नहीं, लिपिकों के सामने DEO भी मजबूर, अब बनेगी नए सिरे से लिस्ट

बिलासपुर। कलेक्टर के आदेश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने बाबूओं का सेक्शन क्या बदला बवाल मच गया। मलाइदार खंड हाथ से निकलते देख कुछ लिपिकों ने जमकर हंगामा मचाया। यहां तक कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा ली जा रही बैठक के बीच में ही कलेक्टर के आदेश की ना फरमानी की जाने लगी। इन लिपिकों के सामने जिला शिक्षा अधिकारी भी मजबूर दिखाई दिए और सख्ती बरतने की जगह कलेक्टर का आदेश है मानना तो पड़ेगा ही कहते दिखाई दिए। अंत में जिला शिक्षा अधिकारी को ही झुकना पड़ा। यह फैसला लिया गया कि लिपिक ही आपस में मिलकर नई लिस्ट तैयार करेंगे और फैसला होगा कि किसको क्या सेक्शन दिया जाए।
पिछले एक हफ्ते से जिला शिक्षा विभाग में तबादला उद्योग जमकर फल-फूल रहा है। एक ही स्कूल में पद से अधिक शिक्षकों की पदस्थापना और थोक में जिला शिक्षा अधिकारी के विकल्प पर हुए ट्रांसफर से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भीड़ पहुंच रही हैं। इसी भीड़ का फायदा उठाते हुए अधिकारी और लंबे समय से पदस्थ विवादित बाबूओं की स्थानांतरण दुकानदारी जमकर चल निकली है। राज्य स्तर पर जारी तबादला लिस्ट में त्रुटियों का फायदा उठाते हुए इन लिपिकों ने अधिकरियों की शह पर स्थानांतरण का व्यवसाय शुरू कर दिया है। इसकी लगातार शिकायत कलेक्टर के पास पहुंच रही थी। कलेक्टर डा. संजय अलंग ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को सभी लिपिकों के सेक्शन बदलने का आदेश दिया था।
होता रहा हंगामा, मजबूर DEO देखते रहे
डीईओ आरएन हीराधर ने विभाग के ही सहायक संचालकों को इसके लिए निर्देशित किया था। सहायक संचालकों द्वारा लिस्ट तैयार करते हुए डीईओ को सौंपी गई। इसकी जानकारी देने के लिए डीईओ श्री हीराधर ने शुक्रवार की दोपहर विभाग में सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की बैठक ली। जैसी ही डीईओ ने विभाग बदलने की बात कही तो लिपिक खड़े हो गए हैं, इसका विरोध करने लगे। मलाईदार सेक्सन हाथ से निकलता देख इन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। यह देख दूसरे लिपिक सकते में आ गए हैं। यहां तक कि इन लिपिकों के सामने जिला शिक्षा अधिकारी और सहायक संचालक भी चुप बैठे रहे। अंत में डीईओ सिर्फ इतना बोल सके कि कलेक्टर का आदेश है मानना पड़ेगा।
काम प्रभावित करने की चेतावनी, बनेगी नई लिस्ट
कलेक्टर के आदेश का हवाला देने के बाद भी कुछ लिपिक शांत नहीं हुए। यहां तक की काम प्रभावित करने की धमकी तक दी जाने लगी। मजबूर डीईओ ने फिर कहा कि सभी लिपिक आपस में ही तय कर लें कि किसको क्या प्रभार दिया जाएगा। अब यहीं से खेल फिर शुरू हो गया है लंबे समय से शिक्षा विभाग में दुकानदारी चला रहें कुछ लिपिक जिनका प्रभार अभी बदला गया है वो अपने खास लोगों को स्थापना और वित्त विभाग देने की चाल रहें हैं। हालांकि डीईओ श्री हीराधर के मुताबिक अभी बनी लिस्ट अंतिम है इसमें बदलाव नहीं होगा। तबादला होकर आए कुछ शिक्षकों लोगों ने शिकायत की थी जिसे गंभीरता से लिया गया है।
ज्वाइनिंग के लिए जारी है विभाग में जमकर सौदेबाजी
गौरतलब है कि स्थानांतरण सूची में एक ही स्कूल में एक विषय के लिए तीन या अधिक शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया है। अब इन्हीं तीन-चार शिक्षकों के बीच किसे ज्वाइनिंग दी जाए इसे लेकर जमकर सौदेबाजी चल रही है। जो अधिक कीमत देने को तैयार है उसे तत्काल ज्वाइनिंग और पोस्टिंग दे दी जा रही है। यही नहीं विभाग के लिपिकों द्वारा कहा जा रहा है कि जहां एक विषय के तीन शिक्षक स्थानांतरित होकर आए हैं, ऐसे स्थानों पर जिले से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को हो प्राथमिकता दी जाएगी। इस आदेश के बाद दूसरे जिलों से से स्थानांतरित होकर आए शिक्षकों को परेशानी हो रही है।
प्रमुख सेक्शन और प्रभारी लिपिक
विकास तिवारी (लिपिक) जो पहले स्थापना 3,4, वित्त बिल्हा सेक्शन देख रहे थे उन्हें अब स्थापना 4, प्रशिक्षण, वित्त गौरेला पेण्ड्रा दिया गया है। इसी तरह देवेन्द्र ठाकूर (लेखापाल) जो कि स्थापना 1, वित्त तखतपुर देख रहे थे उन्हें बजट, पेंशन, आय-व्यय तथा वित्त मस्तूरी सेक्शन दिया गया है। माधव तिवारी (लिपिक) को बजट के स्थान पर कार्यालयीन वित्त का, यतीन्द्र तिवारी को आय-व्यय पत्रक, वित्त की जगह स्टोर खंड, टीसी, दाखिल खारिज प्रति हस्ताक्षर का प्रभार सौंपा गया है। इसी तरह विजय तिवारी (लिपिक) को कार्यालयीन वित्त की जगह योजना और सांख्यिकी खंड, पीएस सिदार (लिपिक) को योजना की जगह अनुदान, मान्यता सेक्शन दिया गया है।
सुधारी जा रही है व्यवस्था
तबादला होकर आए कुछ शिक्षकों लोगों ने शिकायत की थी, जिसे गंभीरता से लिया गया है। लिपिकों के प्रभार में बदलाव करते हुए व्यवस्था दुरुस्त की जा रही है। साथ ही अधिकांश विषयों में तो जिले से रिक्त पद भेजा ही नहीं गया था इसके बाद भी शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया गया है। शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है। - आरएन हीराधर, जिला शिक्षा अधिकारी
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