कानपुर में भूपेश बघेल ने कहा - सावरकर ने बोया बंटवारे का बीज, गणेश शंकर विद्यार्थी को भारत रत्न देने की मांग

कानपुर में भूपेश बघेल ने कहा - सावरकर  ने बोया बंटवारे का बीज, गणेश शंकर विद्यार्थी को भारत रत्न देने की मांग
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद और पत्रकार शिरोमणि गणेश शंकर विद्यार्थी को भारत रत्न देने की मांग की है। मंगलवार को कानपुर में शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री ने देश के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि आज देश में हर कोई डरा हुआ है।

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद और पत्रकार शिरोमणि गणेश शंकर विद्यार्थी को भारत रत्न देने की मांग की है। मंगलवार को कानपुर में शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री ने देश के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि आज देश में हर कोई डरा हुआ है। लोग मतभेद जाहिर करने में घबरा रहे हैं।

गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत को याद करते हुए श्री बघेल ने कहा कि आज सावरकर को भारतरत्न देने की बात की जा रही है। अगर भारतरत्न देना है तो विद्यार्थी जी को दीजिए। उन्होंने कहा कि बीजेपी को सावरकर को भारत रत्न देना है तो दे, लेकिन उसका ज़िक्र चुनावी घोषणापत्र में क्यों कर रही है?

कानपुर के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, वकीलों और समाज के विभिन्न तबकों की मौजूदगी में हुए इस समारोह में भूपेश बघेल ने कहा कि एक वो वक्त था, जब गणेश शंकर विद्यार्थी जो कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, उन्होंने साम्यवादी विचारों वाले भगत सिंह को बरसों अपने साथ रखा, लेकिन कभी अपने विचार उन पर नहीं थोपे। उन्होंने कहा कि आज सावरकर को भारत रत्न देने की बात की जा रही है। 1911 से पहले के सावरकर क्रांतिकारी थे, इससे कोई इनकार नहीं, लेकिन उसके बाद जब वो अंग्रेजों से माफी मांग कर जेल से छूटे उसके बाद उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया, बल्कि 1925 में द्विराष्ट्र सिद्धांत देकर देश के बंटवारे का बीज बोया। श्री बघेल ने साफ-साफ कहा कि सावरकर महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए और तकनीकी तौर पर ही रिहा हुए थे। इससे यह साबित नहीं होता कि सावरकर निरपराध थे।

मुख्यमंत्री ने बिना नाम लिए संघ परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वो देशभर में गांधी जयंती मना रहे हैं, लेकिन यदि सच में उनका हृदय परिवर्तन हुआ है तो उन्हें गोडसे और उसकी विचारधारा का विरोध करना होगा। इस समारोह में स्वागत समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने पूरे आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि विद्यार्थी जी की कर्मस्थली कानपुर में उन पर यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है।

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