तुलिका कर्मा का 'किस्मत कनेक्शन', इन मुश्किलों के बावजूद हुई ताजपोशी

दन्तेवाड़ा। बस्तर टाइगर स्व. महेंद्र कर्मा बस्तर की राजनीति से छग की राजनीति तक अलग छाप छोड़ने वाले बस्तर के इकलौते नेता थे। मगर झीरम में स्व. कर्मा की शहादत के बाद कर्मा परिवार की राजनीति को गहरा आघात लगा, लेकिन राजनीति की दुनिया से कासों दूर रहने वाली स्व.कर्मा की पत्नी देवती कर्मा ने बागडोर संभाली और विधायक बन गयी। विधायक माँ का साथ देने उनके बेटों की जगह उनकी बेटी तूलिका कर्मा आई और 05 सालों तक पूरे कार्यकाल में उन्होंने जमकर मेहनत भी की। दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस की हार का ठीकरा भी दन्तेवाड़ा के क्षेत्रीय नेताओं ने प्रदेश स्तर के नेताओं के सामने तूलिका कर्मा पर ही फोड़ने लगे।
जिसके चलते उन्हें अपनी ही पार्टी में उपेक्षाओं का भी शिकार होना पड़ा। चर्चा यह भी रही कि दन्तेवाड़ा उपचुनाव में उन्हें चुनावी प्रक्रिया, रैली आदि सबसे अलग करने की साजिश भी उन्ही के दल के दन्तेवाड़ा में अच्छी पकड़ माने जाने वाले नेताओं ने की। फिर भी वे हिम्मत नही हारी और न तो कभी पार्टी के लोगों से शिकवा शिकायत की। जबकि विधानसभा उपचुनाव में उनके खिलाफ पार्टी में जमकर बगावत हुयी। यहाँ तक कि प्रदेश स्तर तक के नेताओं के कानों में जहर भरा गया। मगर उन्होंने फिर भी परिपक्वता का परिचय देते हुए हिम्मत न हारने वाली राजनीति की।
जिला पंचायत के उम्मीदवारों में टिकट की दावेदारी से भी उन्हें पार्टी ने क्षेत्रीय नेताओं के चलते बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिश की। मगर तूलिका कर्मा ने कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी जया कश्यप के सामने मैदान में निर्दलीय बिना पार्टी समर्थन के ही पर्चा भर दिया। इस बात की हवा बनाने से कांग्रेस के ही लोगों ने चूक नही की।
दन्तेवाड़ा से लेकर रायपुर तक तूलिका के खिलाफ माहौल बनाया गया। पर जनता ने तूलिका कर्मा को हाथों-हाथ लिया और उन्हें इधर प्रचंड बहुमतों से जीत भी मिली। इतना ही नही सत्ता रहने बावजूद कांग्रेस महज 03 ही सीटें जीत पाई। उसमें भी एक सीट कर्मा पुत्री सुलोचना ने जीती थी। लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दो चरणों मे 03 कांग्रेस और 01 निर्दलीय तूलिका कर्मा की जीत से मुकाबला कांग्रेस के पक्ष में बन गया था। मगर तीसरे और अंतिम चरण के चुनाव में कुआकोंडा जनपद क्षेत्र से 02 सीटें कांग्रेस ने गंवा दी। अब बारी जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की आई। तूलिका कर्मा और सुलोचना ने मिलकर अध्यक्ष पद का निर्णय लिया और तूलिका कर्मा को प्रमोट किया गया। यहाँ तूलिका कर्मा ने सीपीआई से मेहनत करके समर्थन जुटाने में फिर कामयाब रही। मुकाबले में किस्मत कनेक्शन ने भी कर्मा पुत्री का साथ दिया। और उन्हें विजय मिली।
हालांकि उनके खिलाफ साजिश रचने वाले सबसे पहले उन्हें जीत की बधाई देने वालों के कतार में थे, मगर उनके संघर्षों में रोड़ा बनने में उन्होंने कोई कोर कसर भी नहीं छोड़ा था।
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