दुर्ग: पाटन में दुर्लभ प्रवासी पक्षी, पूरी दुनिया में इसकी मात्र 4 हजार जोडि़यां

दुर्ग। दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के ग्राम दैमार के आकाश में बाज प्रजाति के इस पक्षी को देखा गया। मृत जानवरों के शवों का भक्षण करते कलजंगा को देख ग्रामीण रोमांचित हो गए। क्षेत्र के तहसीलदार अनुभव शर्मा ने इस पक्षी को अपने कैमरे में कैद कर लिया। कलजंगा (ग्रेटर स्पॉटेड ईगल) आकाश में यहां प्राय: पाए जाने वाले मृतभक्षी चीलों को क्षेत्र से खदेड़ कर शवों पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास कर रहे थे। चीलों का समूह भी इनका सामना करने में सफल नहीं हो पा रहा था।
दैमार के पंछियों के लिए भी ग्रेटर स्पाटेड ईगल का पाया जाना अद्भुत घटना है। यह बहुत ही दुर्लभ पक्षी है जिसकी संख्या दुनिया भर में लगभग चार हजार जोड़ी ही है। बर्ड वाचिंग में रुचि रखने वाले पाटन तहसीलदार अनुभव शर्मा ने इसके संबंध में बताया कि सर्दियों में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी जब हिंदुस्तान आते हैं, तो उन्हीं के साथ ही शिकारी पक्षी रेप्ट्रस भी पहुंच जाते हैं।
तहसीलदार अनुभव शर्मा ने बताया कि दैमार में इस पक्षी का पाया जाना अद्भुत संयोग है, क्योंकि आईयूसीएन ने विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके इन पक्षियों की रेड श्रेणी में रखा है। चूंकि यह इलाका प्रवासी पक्षियों के सेंट्रल एशियन फ्लाईवे में आता है, इसलिए यह दुर्लभ घटना हुई और इस विलुप्तप्राय प्रजाति को दैमार में स्पॉट किया गया।
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) ने ग्रेटर स्पॉटेड ईगल को रेड लिस्ट में रखा है। मूल रूप से ये शिकारी पक्षी है और झीलों और तालाबों में खूबसूरती के साथ शिकार करता है। ये सांप, गिरगिट, चूहे जैसे जीवों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। सामान्यत: इस पक्षी की ऊंचाई 60 से 70 सेमी तक होती है। आकाश में उडऩे पर इसके पंख 160 सेमी से 180 सेमी तक खुल जाते हैं। इस पक्षी की कलाबाजी शानदार है और हवा में कुछ ही सेकेंड के भीतर कलाबाजी कर यह पानी में पहुंचकर अपने शिकार को कब्जे में ले सकता है। इसके ताकतवर चोंच मांस को चीरने में इसकी मदद करते हैं।
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