राम मंदिर के लिए कारसेवा की, गोली भी खाई, अब भीख मांगने पर मजबूर

राम मंदिर के लिए कारसेवा की, गोली भी खाई, अब भीख मांगने पर मजबूर
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राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। 90 के दशक में राम मंदिर निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों की तरफ से कारसेवा की गई थी।

कोरबा। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। 90 के दशक में राम मंदिर निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों की तरफ से कारसेवा की गई थी। उस कारसेवा में देशभर से कई लोग शामिल हुए, कई लोगों को कारसेवा में अपनी जान गंवानी पड़ी, जेल जाना पड़ा और कई लोगों को आंदोलन से पहचान भी मिली। लेकिन आपको यह जानकर थोड़ी हैरानी जरूर होगी कि राम मंदिर कारसेवा में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और गोली खाने वाले कोरबा के गेसराम चौहान आज भीख मांगकर जीवन गुजारा करने पर मजबूर है।

वे कोरबा जिले की करतला तहसील के ग्राम चचिया के मूल निवासी है। वे छत्तीसगढ़ के ऐसे एक मात्र व्यक्ति हैं जिन्हें 1990 की कारसेवा के दौरान पेट में गोली लगी थी । उसके बाद 1992 की कारसेवा में भी शामिल हुए और लाठियां खाई। गेसराम किसानी करते थे। पिता की मौत के बाद अब तीनों भाइयों ने इनकी जमीन हड़प ली है। गेसराम अब सिमकेंदा करतला के आसपास के गांव में भिक्षा मांग कर गुजर बसर कर रहे हैं। फैसला आने के बाद जब उन्हे बताया गया कि अब राममंदिर बनने वाला है। तब 65 साल के हो चुके गेसराम के हाथ से लाठी, भिक्षापात्र व झोला गिर पड़ा। भावावेश में वे रोने लगे। बार-बार पूछते रहे कि अब तो रामलला का मंदिर सचमुच बनेगा न।

दरअसल 1990 में कोरबा से कारसेवकों का जत्था जुड़ावन सिंह ठाकुर, किशोर बुटोलिया की प्रमुख अगुवाई में गया था । 30 अक्टूबर को सभी फैजाबाद पहुंच चुके थे। उसी दिन कारसेवकों पर पहली गोलीबारी हुई। इसके बाद 2 नवंबर को जब कारसेवकों का बड़ा जत्था आगे बढ़ा तो फिर से पुलिस व सुरक्षाबलों ने फायरिंग कर दी थी,फायरिंग के दौरान गेसराम को पेट में गोली लग गई थी । फैजाबाद हास्पिटल में 15 दिन तक वे भर्ती थे।

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