दिन के उजाले में याद आए, रात होते ही अंधेरे में डूबी गांधी-शास्त्री की प्रतिमाएं

दिन के उजाले में याद आए, रात होते ही अंधेरे में डूबी गांधी-शास्त्री की प्रतिमाएं
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Jayanti) और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री (Former Prime Minister Lal Bahadur Shastri) की जयंती पर दिनभर पूरा शहर उन्हें याद करता रहाए लेकिन शाम ढलने के बाद उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं रहा।

रायपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi Jayanti) और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री (Former Prime Minister Lal Bahadur Shastri) की जयंती पर दिनभर पूरा शहर उन्हें याद करता रहाए लेकिन शाम ढलने के बाद उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं रहा। गांधी-शास्त्री की प्रतिमाएं दिन के उजाले में तो चमकती रहीं, लेकिन रात को अंधेरे में डूबी रहीं। सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को यादगार बनाने के लिए पूरे सालभर कार्यक्रम निर्धारित किया है। इसके लिए प्रदेश के विभन्न विभागों को निर्देश भी जारी किए गए हैं। बावजूद इसके उनकी जयंती के पहले ही दिन उनकी प्रतिमाओं की उपेक्षा ने प्रशासनिक कार्य की पोल खोल दी।

हरिभूमि टीम ने शाम ढलने के बाद उन जगहों की टोह ली, जहां गांधी-शास्त्री की प्रतिमाओं के पास दिनभर यादगार कार्यक्रम हुए और पूरा शहर उन्हें अपने-अपने तरीकों से याद करता रहा। नजारा यह रहा कि सालभर तो दूर, पहले ही दिन प्रतिमाएं अंधेरे में डूबी नजर आईं। उनकी प्रतिमाओं के पास लाइट की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण अंधेरे में डूबी नजर आईं। गांधी चौक मैदान पर लगी गांधी प्रतिमा दूर भवन में लगी लाइट की मद्धिम रोशनी के कारण अंधेरे में डूबी रही। कलेक्टोरेट परिसर स्थित गांधी प्रतिमा का भी यही हाल रहा। सबसे बड़ी बात शास्त्री चौक जैसे बड़े चौराहे पर लगी लालबहादुर शास्त्री की प्रतिमा तो पूरी तरह अंधेरे में डूबी रहीं।

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