किसान मजदूर संघ ने किया मुख्यमंत्री से आग्रह- निरस्त हो सरकार की अधिसूचना, दावा- बगैर सहमति नहीं ली जा सकती प्रीमियम राशि

किसान मजदूर संघ ने किया मुख्यमंत्री से आग्रह- निरस्त हो सरकार की अधिसूचना, दावा- बगैर सहमति नहीं ली जा सकती प्रीमियम राशि
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छत्तीसगढ़ में अल्पकालीन कृषि ऋण पर फसल बीमा योजना को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शिकायत की गई है। किसान मजदूर संघ का कहना है कि राज्य शासन द्वारा इस संबंध में विगत 8 जून को जारी की गई अधिसूचना खारिज की जानी चाहिए, क्योंकि ऋणी किसानों से उनकी सहमति के बिना बीमा की प्रीमियम राशि वसूली जा रही है। संघ का ये भी कहना है कि अधिसूचना के निर्देश के अनुपालन में वित्तीय संस्थानों, बैंकों द्वारा अल्पकालीन ऋणी कृषकों को अवगत कराए बगैर, उनकी सहमति के बिना फसल बीमा के प्रीमियम राशि को उनके ऋण खाते में जोड़कर बीमा कंपनी का भुगतान किया जा रहा है।

रायपुर. छत्तीसगढ़ में अल्पकालीन कृषि ऋण पर फसल बीमा योजना को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से शिकायत की गई है। किसान मजदूर संघ का कहना है कि राज्य शासन द्वारा इस संबंध में विगत 8 जून को जारी की गई अधिसूचना खारिज की जानी चाहिए, क्योंकि ऋणी किसानों से उनकी सहमति के बिना बीमा की प्रीमियम राशि वसूली जा रही है। संघ का ये भी कहना है कि अधिसूचना के निर्देश के अनुपालन में वित्तीय संस्थानों, बैंकों द्वारा अल्पकालीन ऋणी कृषकों को अवगत कराए बगैर, उनकी सहमति के बिना फसल बीमा के प्रीमियम राशि को उनके ऋण खाते में जोड़कर बीमा कंपनी का भुगतान किया जा रहा है। ऋणी कृषकों की सहमति के बगैर अनिवार्यतः फसल बीमा किया जाना भारत का संविधान के प्रतिकूल तथा ऋणी कृषक की सहमति के बगैर उसके ऋण खाते से राशि आहरण किया जाना भादवि के तहत अपराध एवं बैकिंग नियम एवं रिजर्व बैंक आफ इंडिया के निर्देश के विरुद्ध है। उक्त अधिसूचना संविधान एवं नियमों के विरुद्ध होने से निरस्त किए जाने योग्य है।

किसानों के खाते से निकल रही है राशि

इस मामले की शिकायत करने वाले एक किसान शिकायतकर्ता की ग्राम खपरी पटवारी हल्का नंबर 34, राजस्व निरीक्षक मंडल एवं तहसील आरंग में 18 हेक्टेयर शासकीय जलाशय से सिंचित कृषि भूमि है। वह प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति मर्यादित भानसोज पंजीयन क्रमांक 1672 (समिति) का ऋणी सदस्य है। समिति प्रबंधक के द्वारा किसान की सहमति के बगैर ऋण खाते से 16 हजार 770 रुपए आहरित कर फसल बीमा का प्रीमियम भुगतान की जानकारी 19 अगस्त को दी गई। किसान ने उसी दिनांक को खाते से राशि आहरण की कार्यवाही का निरस्त करने हेतु पत्र प्रस्तुत किया है।

पांच साल पहले लागू हुआ प्रावधान

बताया गया है कि वर्ष 1988 में फसल बीमा योजना लागू की गई, तब से वर्ष 2013 तक सिंचित कृषि भूमि के कृषि ऋण पर फसल बीमा अनिवार्य नहीं था। भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा खरीफ वर्ष 2014 में अनिवार्यतः मौसम आधारित बीमा लागू कर राष्ट्रीय कृषि बीमा निगम के स्थान पर निजी बीमा कंपनियों को अधिकृत किया गया, जिसके विरुद्ध छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत की गई थी। इस संबंध में निर्णय पारित किया गया था। फसल बीमा योजना को अनिवार्यतः लागू करने को नियम विरुद्ध घोषित किया गया, लेकिन राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा किसानों का शोषण कर निजी बीमा कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा 5 वर्षाें तक किसानों से बलात प्रीमियम वसूल कर भारी आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।

किसान से इस तरह हुई वसूली

शिकायतकर्ता किसान मजदूर संघ के संयोजक ललित चंद्रनाहू का कहना है कि इस प्रकार किसानों से पिछले कई साल से प्रीमियम राशि की वसूली की जा रही है। इस मामले की शिकायत करने वाले किसान श्री चंद्रनाहू से वर्ष 2015 में 8892 रुपए, वर्ष 2016 में 11900, वर्ष 2017 में 13752 एवं वर्ष 2018 में 17178 रुपए कुल 51722 रुपए प्रीमियम वसूला गया। उनका आरोप है कि बीते वर्षाें में अकाल की स्थिति होने पर भी फसल क्षतिपूर्ति नहीं की गई। इसी प्रकार खरीफ वर्ष 2019 में भी बलात प्रीमियम राशि वसूल की जा रही है।

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