लॉकडाउन में Whatsapp ग्रुप बनाकर बच्चों को पढ़ा रहे टीचर्स

कोरिया। लॉकडाउन से छात्रों को पढ़ाई में हो रही परेशानियों के बीच कोरिया जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र के एक प्रिंसिपल ने अपने शिक्षक साथियों के साथ मिलकर छात्रों के सवालों का समाधान कर रहे है। मूलतः हिमाचल के रहने वाले डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल भगवानपुर, जनकपुर के प्राचार्य राकेश ठाकुर लॉकडाउन के बीच व्हाट्सएप के जरिये ई-क्लासेस ले रहे हैं।
1 अप्रैल से सीबीएसई ने अपने नए शिक्षा सत्र का आगाज कर दिया है, लेकिन स्कूलों के पट बंद होने से बच्चे घर में बैठकर ही ई-क्लास के जरिये पढ़ रहे है। प्रिंसिपल ने अपने स्कूल के 16 शिक्षकों के साथ ऑनलाइन शिक्षा देने की शुरुआत कर दी है। प्रिंसिपल ने तीसरी से 12वीं कक्षा के बच्चों का अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है और प्राचार्य शिक्षकों के व्हाट्सएप में ही शिक्षा दे रहे हैं।
प्रिंसिपल राकेश ठाकुर कहते है कि- 'लॉकडाउन के चलते वो अपने बच्चों से भी नहीं मिल पाए है। उनका कहना है कि स्कूल के सभी बच्चे उनके अपने बच्चे जैसे हैं और स्कूल में रहकर ही वो बच्चों को हाईटेक तरीके से पढ़ा रहे है।'
व्हाट्सएप से उपलब्ध कराई किताबें
हरिभूमि को प्रिंसिपल राकेश ठाकुर ने बताया कि उन्होंने सभी क्लास की किताबो का पीडीएफ दिल्ली से मंगवाया है और व्हाट्सएप ग्रुप में किताबों का पीडीएफ अपलोड कर दिया है। छात्र व्हाट्सएप के माध्यम से इन किताबों को पढ़ रहे है और छात्रों के सवालों का समाधान भी उन्हें व्हाट्सएप पर मिल जा रहा है।
ये निभा रहे हाईटेक गुरुजी की भूमिका
प्रिंसिपल राकेश ठाकुर के साथ विद्यालय के शिक्षक महेश कुमार बेहरा, योगेंद्र सिंह, संजय कुमार, रविन्द्र नाहक, उमेश कुमार साहू, दिनेश कुमार साकेत, वैभव नारायण, दीपेश्वर द्विवेदी, पवन उपाध्याय के साथ शिक्षिका रश्मि पांडेय, मंजू नाहक, पुष्पलता सिंह, केता देवी, अंकिता श्रीवास्तव, भूमिका यादव और इरा सिंह हाईटेक गुरुजी की भूमिका निभा रहे है।
पढ़ाई के साथ-साथ होमवर्क भी
व्हाट्सएप ग्रुप में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं होमवर्क भी दिए जा रहे है। शिक्षक रोजाना होमवर्क भी देते हैं और बच्चे होमवर्क पूरा कर उसे व्हाट्सएप में अपलोड करते है। फिर व्हाट्सएप के जरिये सम्बंधित विषय के शिक्षक होमवर्क की जांच भी करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण बच्चों का पढ़ाई का समय न खराब हो इसके लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है। ताकि बच्चे घर पर ही पढ़ सकें। जब तक बच्चों के स्कूल नहीं खुलते हैं तब तक उन्हें शिक्षक-शिक्षिकाएं वाट्सएप की मदद से पढ़ाएंगे।
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