शिक्षक दिवस आज : स्कूल जिनकी तस्वीर बदल दी इन शिक्षकों ने कभी तरसते थे छात्रों के लिए आज पहले पायदान पर काबिज

शिक्षक दिवस आज : स्कूल जिनकी तस्वीर बदल दी इन शिक्षकों ने कभी तरसते थे छात्रों के लिए आज पहले पायदान पर काबिज
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सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता और बदहाली को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इन सवालों के बीच कई शासकीय विद्यालय ऐसे भी हैं, जिन्होंने प्राइवेट स्कूलों को कड़ी टक्कर देते हुए खुद काे ना सिर्फ साबित किया है, बल्कि आज वे सर्वश्रेष्ठ विद्यालय के रूप में पुरस्कृत होने जा रहे हैं।

रायपुर। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता और बदहाली को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इन सवालों के बीच कई शासकीय विद्यालय ऐसे भी हैं, जिन्होंने प्राइवेट स्कूलों को कड़ी टक्कर देते हुए खुद काे ना सिर्फ साबित किया है, बल्कि आज वे सर्वश्रेष्ठ विद्यालय के रूप में पुरस्कृत होने जा रहे हैं। इन स्कूलों का कायाकल्प किया है, यहां के शिक्षकों ने। किसी ने अपनी इनाम राशि ही स्कूल में खर्च की दी, तो किसी ने नतीजे सुधारने पढ़ाई का पूरा गणित ही बदल डाला। शिक्षक दिवस पर जानिए इस शिक्षकों के बारे में, जिन्होंने अपने जज्बे से स्कूल की तस्वीर बदल डाली।

नतीजे सुधरे, इसलिए क्लासरूम को ले गईं मैदान तक


अभनपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले शासकीय हाईस्कूल गाेड़पारा की तस्वीर बदली है, यहां की प्राचार्य मंजरी जैन ने। 2011 में यह स्कूल खुला था। जब मंजरी ने इस स्कूल को ज्वॉइन किया तब यहा पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत 50 के आसपास ही होता था। मंजरी ने इसका कारण जाना और फैसला किया कि छात्रों को क्लास में थ्योरी पढ़ाने के स्थान पर उन्हें बाहर ले जाकर प्रैक्टिल करके दिखाया जाए। स्कूल में लाइब्रेरी बनवाई और हर छात्र के लिए यहां वक्त बिताना अनिवार्य किया। इसका असर नतीजों पर दिखा। स्कूल का परिणाम अब 90 प्रतिशत के आसपास ही रहता है। पढ़ाई के साथ ही दूसरी चीजों पर भी फोकस किया गया। जिस स्कूल में कभी बाउंड्री वॉल नहीं थी, अब वहां 2हजार पेड़ लहरा रहे हैं। बच्चों के लिए स्पोकन इंग्लिश, गणित, म्यूजिक की कक्षाएं भी लग रही हैं। यहां के छात्रों ने राष्ट्रीय विज्ञान बाल कांग्रेस सहित कई प्रतियोगिताओं में प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी किया है।

ईनाम की राशि स्कूल में कर दी खर्च


पूर्व माध्यमिक शाला की श्रेणी में उडकुडा विकासखण्ड चारामा जिला कांकेर को सर्वश्रेष्ठ स्कूल के रूप में प्रथम पुरस्कार दिया जाएगा। यहां के प्रधानपाठक मोहनलाल जयसवाल को 2016 में गजानन माधव मुक्तिबोध सम्मान मिल चुका है। प्राप्त 51 हजार की राशि से स्कूल में विज्ञान लैब बनवाया, ताकि बच्चे प्रैक्टिलक कर सकें। जब वे यहां आए तो देखा कि पालक निजी स्कूल के यूनिफॉर्म और दूसरी चीजों को देखकर उस ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसके बाद उन्होंने अपने स्कूल में भी बच्चों के लिए ड्रेसकोड निर्धारित किया। गरीब बच्चों के यूनिफॉर्म का खर्च वे खुद ही उठा रहे हैं।

21 सालों से एक ही स्कूल में अध्यापन, सातों दिन लगती है कक्षाएं


कांकेर जिले में आने वाले शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला गोण्डाहूर भी उन आठ उत्कृष्ठ विद्यालयों में है, जिसे आज राजभवन में पुरस्कृत किया जाएगा। शाला के प्राचार्य अरुण कुमार कीर्तनिया 1998 से यहां अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पदोन्नति भी हुई, लेकिन उन्होंने कहीं और जाने से इंंकार कर दिया। स्कूल में शिक्षक कम थे, छात्रों और पालकों के प्यार ने भी उन्हें बांधे रखा। वे यहां सप्ताह के सातों दिन कक्षाएं लगाते हैं। रविवार को कमजोर छात्रों के लिए स्पेशल कक्षा के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी कोचिंग क्लास लगती है। स्कूल का परिणाम 100 प्रतिशत के करीब रहता है। एनआईटी, आईआईटी जैसे संस्थानों में यहां के छात्र चयनित हो चुके हैं। ग्रीन जाेन वाले इस स्कूल को स्वच्छ विद्यालय का पुरस्कार भी मिल चुका है।

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