कृषि विभाग का टेंडर निरस्त, अब छोटी कंपनियां भी रेस में शामिल

रायपुर। कृषि विभाग से जुड़े बीज निगम ने कृषि उत्पाद की खरीदी के लिए एक टेंडर जारी किया था। इस मामले में एक बड़ी गड़बड़ी ये थी कि भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन करते हुए टेंडर के लिए ली जाने वाली अर्नेस्ट मनी को हजार गुना बढ़ा दिया गया था। इस संबंध में 'हरिभूमि' ने विगत बुधवार 15 अप्रैल को प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर गड़बड़ी का मामला सामने लाया था। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस मामले में कार्यवाही करते हुए विवादित टेंडर निरस्त करने का आदेश दिया है। खास बात ये है कि अगर ये टेंडर निरस्त नहीं होता और गड़बड़ी दूर नहीं होती तो कई छोटी कंपनियां प्रतिस्पर्धा के अभाव में दौड़ से बाहर हो जातीं।
ये है मामला
छत्तीसगढ़ में खेती के विकास तथा किसानों के सहयोग के लिए संचालित कृषि एवं बीज विकास निगम रेट कांट्रैक्ट के आधार पर कुछ कंपनियों को ही खाद, बीज व कीटनाशकों की खरीदी करता है। छत्तीसगढ़ में यह प्रक्रिया एक पारदर्शी व्यवस्था के साथ संचालित की जाती रही है, लेकिन हाल ही में इस प्रक्रिया को बाधित करते हुए नए रेट कांट्रैक्ट में अचानक अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट में बढ़ोत्तरी कर दी गई। पूर्व में हुए रेट कांट्रैक्ट में यह एक लाख रुपए थी। इसमें हजार गुना की बढ़ोतरी कर एक करोड़ रुपए तक कर दिया गया। जाहिर है कि ऐसा करने से कई छोटी कंपनियां प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रही थीं।
इन प्रोडक्ट के लिए हो रहा था रेट कांट्रैक्ट
बीज निगम की ओर से जारी निविदा में साल 2020-21 के लिए एग्रीकल्चर बायो पेस्टीसाइड्स, एग्रीकल्चर माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और हार्टिकल्चर प्रोड्यूस, जिसमें फ्रूट वेजीटेबल, फ्लॉवर एवं मेडिसिन, फारेस्ट प्रोड्य़ूस प्रोसेंसिंग और ट्रेनिंग उपकरण खरीदी करने के लिए नया रेट कांट्रैक्ट किया जा रहा है। किसानों को अच्छी क्वालिटी का खाद, बीज व कीटनाशक उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बीज निगम की है। एग्रीकल्चर बायो पेस्टीसाइड्स उपलब्ध कराने इस बार 3 करोड़ तक के टर्नओवर की मांग की गई थी। वहीं ऑनलाइन अर्नेस्ट मनी को 1 करोड़ 17 लाख रुपए तय किया गया। एग्रीकल्चर माईक्रो न्यूट्रिएंट्स के लिए 48 लाख और फ्रुट एवं वेजीटेबल के लिए 75 लाख रुपए का अर्नेस्ट मनी जमा करने कहा गया। पेस्टिसाइड और बायो पेस्टिसाइड के लिए काफी बड़ा बजट आवंटित होता है। इससे जुड़े उत्पादों के लिए कई साल से नया रेट कांट्रैक्ट नहीं किया गया है।
प्री-बिड की बैठक को लेकर थी आपत्ति
छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम कृषि विकास निगम के द्वारा रेट कांट्रैक्ट के लिए जो कार्यक्रम जारी किया गया, उसके अनुसार अर्नेस्ट मनी सबमिशन करने का दिनांक तय करने के बाद 15 अप्रैल को प्री-बिड बैठक रखी गई थी। 4 मई को दोपहर 1.30 बजे तक इसे बिड सबमिट करने की अंतिम तिथि तय की गई। 6 मई तक ईएमडी और 8 मई को टेक्निकल बिड की और फायनेंशियल बिड 18 मई को खोलने का समय तय किया गया। कंपनियों के बीच प्री-बिड मीटिंग को लेकर यह आपत्ति है कि टेंडर फायनल होने के पहले पूरे मामले को प्रभावित करने वाला है।
भंडार क्रय नियम का उल्लंघन
जानकार सूत्रों के अनुसार जारी टेंडर में अर्नेस्ट मनी एक करोड़ 17 लाख, 48 लाख और 75 लाख रुपए की रखी गई है। भंडार क्रय नियम के अनुसार अर्नेस्ट मनी कुल टर्नओवर का दो प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसे में जारी टेंडर में दी गई अर्नेस्ट मनी की दर छोटी कंपनियों को रोकने का काम करेगी।
अफसर ने कहा था- नियम से कर रहे काम
यह भी उल्लेखनीय है कि इस मामले को लेकर जब हरिभूमि ने बीज निगम के संचालक नरेंद्र दुग्गा से बात की तो उन्होंने कहा था कि निगम में रेट कांट्रैक्ट नियम के अनुसार टेंडर जारी किया गया है। अंतिम तिथि तक कितनी कंपनियां भाग लेती हैं, उसकेे आधार पर इन आयटम की सप्लाई की दर तय होगी।
मैंने दिया निरस्त करने का आदेश : कृषि मंत्री
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि इस मामले में गड़बड़ी ये थी कि टेंडर में ली जाने वाली अर्नेस्ट मनी को काफी बढ़ा दिया गया था। यह राशि करोड़ रुपए तक जा रही थी। अगर इतनी बड़ी राशि ली जाएगी तो कई छोटी कंपनियां व्यवसाय ही नहीं कर पाएंगी। उन्हें काम करने का मौका ही नहीं मिलेगा। इसे देखते हुए मैंने टेंडर निरस्त करने का आदेश दिया है।
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