राज्य के तीन खिलाड़ियों का भारतीय सॉफ्टबॉल टीम में चयन, आज रात दिल्ली से क्वालालंपुर के लिए होंगे रवाना

राज्य के तीन खिलाड़ियों का भारतीय सॉफ्टबॉल टीम में चयन, आज रात दिल्ली से क्वालालंपुर के लिए होंगे रवाना
X
शहर के दुष्यंत कुमार निषाद का चयन अंडर-17 भारतीय सॉफ्टबॉल टीम में हुआ है। दुष्यंत के पिता पवन निषाद हम्माली का काम करते हैं। बेटे काे खिलाड़ी बनाने के लिए पिता ने जीवन में जी तोड़ मेहनत की।

रायपुर। शहर के दुष्यंत कुमार निषाद का चयन अंडर-17 भारतीय सॉफ्टबॉल टीम में हुआ है। दुष्यंत के पिता पवन निषाद हम्माली का काम करते हैं। बेटे काे खिलाड़ी बनाने के लिए पिता ने जीवन में जी तोड़ मेहनत की। बिंदा सोनकर स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ रहे दुष्यंत बताते हैं कि उनके पिता लोन लेकर उन्हें खेलने के लिए भेजा करते थे। अब तक दुष्यंत ने सब जूनियर में 3 गोल्ड, 1 ब्रांज और जूनियर वर्ग में 1 सिल्वर मेडल जीता है। भारतीय टीम में उनका चयन उनके पिता का सपना था, जो अब जाकर पूरा हुआ। लगभग 5 साल तक 4 से 5 घंटे की प्रैक्टिस के बाद वे ट्रायल में सफल हुए हैं। दुष्यंत के अलावा उनके दो और सहयोगी खिलाड़ी मुंगेली के आर्यन ताम्रकार और बीजापुर के सुरेश हेमला का भी भारतीय टीम में चयन हुआ है। तीनों खिलाड़ी 7 से 13 सितंबर के बीच मलेशिया के क्वालालंपुर शहर में खेली जाने वाली एशिया कप अंडर-17 बालक वर्ग के लिए 18 सदस्यी भारतीय दल के साथ शुक्रवार की रात दिल्ली से क्वालालंपुर के लिए रवाना होंगे।

एकेडमी ने संवारा जीवन

बीजापुर से भारतीय सॉफ्टबॉल टीम के लिए चयनित खिलाड़ी सुरेश हेमला का कहना है कि उनके क्षेत्र में खुली एकेडमी ने उनका भविष्य संवारा है। सॉफ्टबॉल खेल क्या होता है लगभग चार साल पहले सुरेश को यह पता नहीं था, लेकिन कोच प्रदीप साहू का आत्मविश्वास और सुरेश की कड़ी मेहनत ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बना दिया। बीजापुर जैसे नक्सली क्षेत्र में कई खेलों से अंजान लोगों के बीच रहकर भी सुरेश ने सब जूनियर वर्ग में 1 गोल्ड, 1 कांस्य और जूनियर वर्ग में 1 सिल्वर मेडल प्रदेश के नाम किया है। कक्षा 9वीं में पढ़ाई कर रहे सुरेश के पिता पुलिस में सिपाही हैं।

बेटे ने पूरा किया मां का सपना, कायम रखी बड़े भाई की उम्मीद

मुंगेली से भारतीय सॉफ्टबॉल टीम में चयनित आर्यन ताम्रकार ने बताया कि वे 6 साल की मेहनत के बाद अपनी मां का सपना पूरा करने में सफल हुए। प्रदेश के लिए सबजूनियर वर्ग में 1 गोल्ड और जूनियर वर्ग में 1 सिल्वर जीतने वाले आर्यन की मां का सपना था कि वे एक दिन देश के लिए खेलें, वह सपना अब जाकर पूरा हुआ। वहीं बेटे को विदा करते समय मां ने कहा कि बेटा चोटिल नहीं होना, तुझे देश के लिए सोना जीतना है। आर्यन 4 से 5 घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App

Tags

Next Story