ट्रायबल सेक्टर की संस्थाओं से गवर्नर का आग्रह - '...हक दिलाने के लिए सामने आएं'

रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा है कि आदिवासी समाज को अपनी गौरवशाली संस्कृति और परम्पराओं को अक्षुण्ण रखते हुए विकास की राह में आगे बढ़ना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने समाज में जनजागृति लाने के लिए आवश्यक प्रयास करने पर जोर दिया। राज्यपाल सुश्री उइके ने यह विचार आज बालोद जिले के राजाराव पठार में सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित 'वीर मेला' के तहत आदिवासी हाट एवं लोककला महोत्सव को संबोधित करते हुए व्यक्त की। राज्यपाल ने इस अवसर पर देव पूजा कार्यक्रम में शामिल हुई और आदिवासी हाट का अवलोकन किया। साथ ही उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रतिभाओं को सम्मानित किया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति अद्वितीय है और विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषता लिए हुए है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले जनजातीय क्षेत्रों में विकास की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। आदिवासी लंबे समय तक विकास की रोशनी से कोसों दूर रहकर समाज की मुख्यधारा से कटे रहे। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में जनजातियों के विकास और उत्थान के लिए व्यापक प्रयासों की शुरूआत की गई। भारतीय संविधान में जनजातियों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक विकास के लिए अनेक संवैधानिक प्रावधान किए गए। साथ ही उनके उत्थान, कल्याण एवं विकास के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई और समय के साथ-साथ ऐसे प्रयासों और योजनाओं को बढ़ावा दिया गया।
सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पद का बखूबी निर्वहन करते हुए यहां के लोगों के दुख और तकलीफों को दूर करने और न्याय दिलाने का प्रयास करूंगी। राज्यपाल का पद संभालने के बाद छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों से मुलाकात हुई है और उनकी समस्याओं को जानने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि जनजातियों के लिए संविधान में बहुत सारे प्रावधान किए गए है। अनुसूचित क्षेत्रों के लिए पेशा कानून बनाए गए हैं और ग्राम सभा को विशेष अधिकार दिए गए हैं। राज्यपाल ने कहा कि किसी क्षेत्र में उद्योग-धंधे लगाए जाने पर वहां से विस्थापितों को समय पर उचित मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए। जब वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष थी तो देश के विभिन्न स्थानों में विस्थापितों को उचित मुआवजा दिलवाया था। उन्होंने आग्रह किया कि आदिवासियों के हित में काम करने वाली संस्थाएं ऐसे प्रकरणों में हक दिलाने के लिए सामने आएं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्दकुमार साय ने कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर वीर मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं कांकेर विधायक एस.पी. सोरी, सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविन्द नेताम, पूर्व सांसद सोहन पोटाई सहित सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी और बालोद, कांकेर तथा धमतरी जिलों से आए बड़ी संख्या में आए आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।
राज्यपाल ने किया आदिवासी हाट का अवलोकन
वीरमेला के अवसर पर आदिवासी हाट में आदिवासियों के रहन-सहन, संस्कृति एवं परम्पराओं को आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया गया था, जिसका राज्यपाल सुश्री उइके ने अवलोकन किया तथा उसकी सराहना की।
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