Delhi Election Results : दिल्ली में भाजपा अपनाती ये ट्रिक तो जीत सकती थी चुनाव!

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों से साफ हो गया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है। हालांकि, दिल्ली का रण जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी थी। फिर भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है।
भारतीय जनता पार्टी ने कई राज्यों के मंत्रियों, 200 से अधिक सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज उतार दी थी। यहां तक की भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह और पीएम मोदी ने भी कई चुनावी सभाएं कीं। लेकिन दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को जनादेश दिया और केजरीवाल को एक बार फिर से मुख्यमंत्री चुना। चलिए जानते हैं कि यदि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ये रणनीति अपनाती तो जीत सकती थी चुनाव?
दिल्ली में भाजपा को अपनानी चाहिए थी ये ट्रिक
* दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने उन मुद्दों पर चुनाव नहीं लड़ा जिनपर जनता वोट करने वाली थी। यदि भाजपा आम आदमी पार्टी की तरह दिल्ली के मुद्दों पर चुनाव लड़ती तो उसे अधिक फायदा होता।
* भारतीय जनता पार्टी के अरविंद केजरीवाल के खिलाफ यदि कोई बड़ा चेहरा सामने लाती तो भाजपा को इसका अधिक फायदा होता। क्योंकि केजरीवाल ने मोदी से ये सवाल पूछा कि क्या वे दिल्ली के सीएम बनेंगे?
* भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय मुद्दे के बजाय स्थानीय मुद्दे की बात करती तो उसके लिए जीत की राह आसान हो सकती थी? दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत स्थानीय नेता भी सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बात करते दिखे थे।
* दिल्ली विधनासभा चुनाव के मद्देनजर जिस तरह से दिल्ली की कानून व्यवस्था बिगड़ी थी। भाजपा ने आम आदमी पार्टी को घेरने के बजाए कानून- व्यवस्था को ठीक किया होता तो इसे उसका फायदा जरूर मिलता? दिल्ली में बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर बीजेपी के नेता बार-बार केजरीवाल को जिम्मेदार बताते रहे। जबकि कानून व्यवस्था को ठीक करने की जिम्मदारी केंद्र सरकार के पास है।
* भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की जनता के लिए आम आदमी पार्टी की जैसी योजनाएं अगर लेकर आती तो चुनाव में इसका फायदा जरूर मिलता? भाजपा को आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली, फ्री पानी, मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाओं के मुकाबले योजनाएं सामने लानी चाहिएं थीं।
* चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के नेताओं ने आक्रामक भाषाशैली का इस्तेमाल नहीं किया होता तो इसका फायदा उसे जरूर मिलता। क्योंकि भाजपा नेताओं की आक्रामक भाषाशैली की बहुत आलोचनाएं की कई थीं।
* भाजपा को स्थानीय नेता और उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर जनसम्पर्क करने की बजाय रैलियों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था।
* भाजपा को पार्टी में स्थानीय नेताओं से ज्यादा बाहरी नेताओं को इकठ्ठा नहीं करना चाहिए था।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS