मानसिक रोगी के कोरोना संक्रमित होने का खतरा, अदालत ने घर भेजने के दिए आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीर मानिसक रोग से ग्रस्त एक सजायाफ्ता कैदी को 45 दिन के लिए जेल से रिहा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने पाया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जेल में इस कैदी के संक्रमण की चपेट में आने की अधिक आशंका है क्योंकि वह सावधानियां बरतने और जरूरी स्वच्छता बरकरार रखने में समर्थ नहीं होगा।
जब यह सूचित किया गया कि कैदी इस स्थिति में नहीं है कि वह अकेले वापस अपने घर जा सके तो अदालत ने जेल अधीक्षक को कहा कि जब रिहा किया जाए तो उसकी बहन को सूचना दी जाए ताकि उसे सुरक्षित घर ले जाया जा सके। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अनूप जयराम भमभानी ने दोषी की 45 दिन की सजा निरस्त करते हुए कहा कि ऐसा करना उसके स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में होगा।
यह कैदी एक आपराधिक मामले में सात साल की सजा काट रहा है और अपनी सजा के नौ महीने काटने के दौरान जेल में उसका आचरण संतोषजनक रहा है। कैदी के वकील ने जेल की डिस्पेंसरी और इहबास (मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान) अस्पताल में उसकी मानसिक बीमारी 'सिजोफ्रेनिया' का इलाज जारी रहने और इसके लिए नियमित देखभाल का हवाला देते हुए सजा निरस्त करने की मांग की थी।
हालांकि, अदालत ने इस आधार पर सजा निरस्त किए जाने की मांग खारिज करते हुए 45 दिन के लिए रिहा किए जाने का निर्देश दिया। राहत दिए जाने के साथ ही न्यायाधीश ने निर्देशित किया कि कैदी अदालत की अनुमति के बिना दिल्ली से बाहर नहीं जाए और हर शनिवार को जांच अधिकारी से वीडियो कॉल के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराए।
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