तिहाड़ जेल के गेट फांसी का इशारा पाने को बेताब दिखे लोग, बांटी मिठाई

तिहाड़ जेल के गेट फांसी का इशारा पाने को बेताब दिखे लोग, बांटी मिठाई
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नई दिल्ली में निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा मिलने से पहले ही लोगों का जमावड़ा जेल के पास दिखना शुरू हो गया था। इस दौरान लोगों ने निर्भया जिंदाबाद के नारे लगाये और खुशी में मिठाईयां बांटी। लोगों ने चारों दोषियों के वकील एपी सिंह के खिलाफ नारे भी लगाये। लोग कोरोना वायरस के खौफ के बाद भी एकजुट होकर तिहाड़ पहुंचे।

नई दिल्ली में निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा मिलने से पहले ही लोगों का जमावड़ा जेल के पास दिखना शुरू हो गया था। इस दौरान लोगों ने निर्भया जिंदाबाद के नारे लगाये और खुशी में मिठाईयां बांटी। लोगों ने चारों दोषियों के वकील एपी सिंह के खिलाफ नारे भी लगाये। लोग कोरोना वायरस के खौफ के बाद भी एकजुट होकर तिहाड़ पहुंचे।

पश्चिमी दिल्ली के हरि नगर में तिहाड़ जेल है। इलाके के ही रहन वाले रवींद्र सिंह बख्शी भी निर्भया के दोषियों को फांसी की खुशी मनाने जेल के गेट पर पहुंचे। उन्होंने कहा, कि कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए मेरी पत्नी ने मुझे बाहर नहीं निकलने की सलाह दी थी, लेकिन वह अपनी खुशी रोक न पाये क्योंकि मेरी बहन को न्याय दिया जा रहा है।

इसके साथ ही मीडियाकर्मी भी मास्क लगाये तिहाड़ जेल के गेट पर डीजी संदीप गोयल के फांसी के इशारे का इंतजार करते रहे। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने 20 से अधिक लोगों के एकजुट होने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके बावजूद तिहाड़ के बाहर लोगों की भीड़ एकत्रित हुई और वह निर्भया के प्रति अपनी श्रद्धांजलि प्रकट करते नजर आए।

जेल के आसपास सुरक्षा रही कड़ी

कोई भी अप्रिय घटना न हो, इसके लिए सुरक्षाकर्मियों ने जेल परिसर के आसपास व्यवस्था चाक-चौबंद कर रखी थी। आसपास के कई थानों के पुलिसकर्मी व सीनियर अफसर वहां मौजूद रहे। इसके अलावा जेल के भीतर करीब 15 अधिकारी फांसी के समय मौजूद थे।

इनमें जेल सुपरिटेंडेंट, डेप्युटी सुपरिटेंडेंट, हेड वार्डर व तमिलनाडू स्पेशल पुलिस फोस के अफसर शामिल थे। ताकि कोई अराजकता न फैल सकें। निर्भया के चारों दोषियों को फांसी के बाद दिल्ली पुलिस की दो सीनियर महिला अफसरों डीसीपी मोनिका भारद्वाज व नॉर्थ-वेस्ट जिले की डीसीपी रही असलम खान ने भी ट्वीट कर खुशी जाहिर की है। वहीं पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार का कहना है कि हमें निर्भया कांड को भूलना नहीं चाहिये।

गौरतलब है कि 7 साल 3 महीने बाद राष्ट्रीय राजधानी में एक चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा (निर्भया) के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के 4 दोषियों को आखिरकार फांसी दे दी गई। दुष्कर्म करने के बाद मामले में शामिल 6 दोषी छात्रा और उसके मित्र को सड़क किनारे छोड़कर चले गए थे। बाद में छात्रा ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था।

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