शीला दीक्षित का सियासी सफर: जेल में बिताये थे 23 दिन, लगातार तीन बार CM बनने वाली देश की पहली महिला

शीला दीक्षित का सियासी सफर: जेल में बिताये थे 23 दिन, लगातार तीन बार CM बनने वाली देश की पहली महिला
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार की दोपहर निधन हो गया। 81 वर्षीय शीला दीक्षित को राजधानी के एक अस्पताल में तबियत बिगड़ने के बाद भर्ती कराया गया था। वह दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं, फिलहाल दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। आइए उनके राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शनिवार की दोपहर निधन हो गया। 81 वर्षीय शीला दीक्षित को राजधानी के एक अस्पताल में तबियत बिगड़ने के बाद भर्ती कराया गया था। वह दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं, फिलहाल दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। आइए उनके राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं-

शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को कपूरथला में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली के कॉन्वेंट स्कूल ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से ली थी। इसके बाद मिरांडा हाउस कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। वह देश पहली ऐसी मुख्यमंत्री थीं जिन्होंने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी को संभाला। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दिया। उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया गया था। इसके अलावा केरल की राज्यपाल भी रहीं। केरल के राज्यपाल निखिल कुमार के इस्तीफे के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थीं।

साल 1986 से 1989 तक शीला दीक्षित ने मंत्री पद पर काम किया। पहले उन्हें संसदीय कार्यमंत्री बनाया गया, फिर बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री बनीं। साल 1984 से से 1989 तक उन्होंने कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। ये शीला दीक्षित का ही राजनीतिक अनुभव था कि साल 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी को 70 में 43 सीटों पर जीत दर्ज दिलाई।

शीला दीक्षित ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जुड़े अभियानों का भी अच्छा नेतृत्व किया। साल 1984 से 1989 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में महिला स्तर समिति का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ समाज में अत्याचारों के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान (1990 में) उन्हें अपने 82 साथियों के साथ 23 दिन जेल में भी रहना पड़ा था। वह इंदिरा गांधी स्मारक ट्रस्ट की सचिव भी रहीं।

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