लगातार हो रही रेप घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, राज्यों से मांगी स्थिति रिपोर्ट

देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को यौन अपराधों के संदर्भ में अपराध न्याय व्यवस्था का आकलन करने के लिए इनका स्वत: संज्ञान लिया। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले का जिक्र करते हुए कहा कि इसने राष्ट्र के मानस को झकझोर दिया था।
पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों में विलंब ने हाल के समय में आन्दोलन और लोगों के मन में अशांति को जन्म दिया। पीठ ने इस तरह के मामलों में जांच, साक्ष्य जुटाना, फारेंसिक और मेडिकल साक्ष्य, पीड़ित के बयान दर्ज करना और मुकदमे की सुनवाई की समय सीमा सहित अनेक पहलुओं पर सभी राज्यों और उच्च न्यायालयों से सात फरवरी, 2020 तक स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
हाईकोर्ट से भी ब्यौरा देने को कहा
बुधवार को अदालत ने देश के सभी हाईकोर्ट से भी जांच, सबूत इकठ्ठा करने की प्रक्रिया और मामले की सुनवाई से जुड़े तथ्यों का ब्यौरा देने को कहा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से गृह सचिव के जरिए इस मुद्दे पर अपना जवाब फाइल करने को कहा। वहीं, राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपने मुख्य सचिवों के जरिए जवाब दाखिल करेंगे।
लूथरा न्याय मित्र नियुक्त
पीठ ने कहा कि बलात्कार से संबंधित कानून के प्रावधानों पर अमल और स्थिति के बारे में जानकारी जुटाने की आवश्यकता है। पीठ ने न्यायालय की मदद के लिये इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
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