जेल में बैठे बदमाश बना गया कंडक्टर, ट्रांसपोर्ट विभाग से ऐसे बनवाया लाइसेंस

जेल में बैठे बदमाश बना गया कंडक्टर, ट्रांसपोर्ट विभाग से ऐसे बनवाया लाइसेंस
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दिल्ली के ज्योति नगर थाना इलाके में फर्जीवाडे का एक केस सामने आया है। जेल में बंद बदमाश का ट्रांसपोर्ट विभाग कंडक्टर बनने का सर्टिफिकेट जारी कर दिया।

दिल्ली के ज्योति नगर थाना इलाके में एक हैरान कर देने वाला मामला समाने आया है। दरअसल ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकृत सेंटर ने एक ऐसे शख्स का कंडक्टर बनने का सर्टिफिकेट जारी कर दिया, जोकि ट्रैनिंग वक्त के दौरान से ही जेल में बंद था। मामला अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने अधिकृत ट्रेनिंग कॉलेज का लाइसेंस रद्द कर दिया। पुलिस ने नॉर्थ-ईस्ट जोन की ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के एमएलओ आर रामानाथन के बयान पर धोखाधड़ी समेत विभिन्न संबंधित धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।

जानकारी के मुताबिक, गत वर्ष दिसंबर माह में लोनी रोड स्थित ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के एमएलओ ने ज्योति नगर थाना पुलिस को एक शिकायत दी थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि डीएसआईआर नाम से एक ट्रेनिंग कॉलेज को विभाग ने अधिकृत किया है। इस कॉलेज के पूरी दिल्ली में छह सेंटर है और यह कॉलेज गाडि़यों के लाइसेंस से जुडे़ अलग-अलग कोर्स करवातें हैं। इतना ही नहीं इन कॉलेज के सर्टिफिकेट को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।

वर्ष 2014 दिसंबर माह में कॉलेज ने मनीष नामक एक युवक का दो दिन का सर्टिफिकेट जारी कर दावा किया कि उसने यह कोर्स यहां से किया है। कॉलेज ने अपने रिकॉर्ड में न केवल मनीष का नाम चढ़ाया, बल्कि ट्रांसपोर्ट विभाग के रिकॉर्ड कीपर को बहला फुसलाकर उसके रजिस्टर में भी मनीष का नाम लिख दिया। इसके बाद कॉलेज ने मनीष का कंडक्टर लाइसेंस जारी कर दिया। विभागीय जांच में मनीष द्वारा वर्ष 2014 की 19 और 20 दिसंबर को कोर्स पूरा करने का दावा किया गया। जांच में पुलिस को पता चला कि इन दिनों आरोपी रोहिणी जेल में बंद था।

कोर्ट में पेश किये गए सबूत भी निकले फर्जी

लाइसेंस रद्द होने के बाद कॉलेज ने विभाग को हाईकोर्ट में चुनौती दी। कॉलेज ने कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किये, वह भी फर्जी निकले। दरअसल आरोपी ने जो सर्टिफिकेट कोर्ट में पेश किया, उस पर ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर के हस्ताक्षर थे। कोर्ट में पेश होने पर इंस्पेक्टर ने बताया कि जिस समय यह सर्टिफिकेट जारी हुआ, उसकी तैनाती वहां नहीं थी।


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