Adipurush का विवाद पहुंचा Lucknow Court, जज ने फिल्म मेकर्स को लगाई फटकार

Adipurush का विवाद पहुंचा Lucknow Court, जज ने फिल्म मेकर्स को लगाई फटकार
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फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) को लेकर शुरू हुआ विवाद कोर्ट तक पहुंच चुका है। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ (Lucknow Bench) ने आदिपुरुष में दिखाए गए आपत्तिजनक संवाद (Dialogues) और गलत तथ्यों (Facts) को लेकर फिल्म मेकर्स और सेंसर बोर्ड (Censor Board) को फटकार लगाई है। अब अगली सुनवाई 27 जून को होनी है।

Adipurush Controversy: ओम राउत (Om Raut) द्वारा निर्देशित फिल्म आदिपुरुष को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। विवादों का ये सिलसिला अब लखनऊ कोर्ट तक पहुंच चुका है। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ (Lucknow Bench) ने आदिपुरुष के निर्माताओं को फटकार लगाई है। साथ ही हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड के लिए भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। आदिपुरुष (Adipurush) को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में जस्टिस राजेश सिंह चौहान (Justice Rajesh Singh Chauhan) और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह (Justice Sriprakash Singh) की बेंच ने सवाल किया कि आप अगली पीढ़ी को क्या सिखाना चाहते हैं।

सेंसर बोर्ड से भी कोर्ट ने किए सवाल

अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने न्यायालय में बहस के दौरान अपना पक्ष रखते हुए फिल्म आदिपुरुष में दिखाए गए आपत्तिजनक तथ्यों और डायलॉग्स से हाई कोर्ट को अवगत कराया। वहीं, 22 जून को प्रस्तुत अमेंडमेंट एप्लीकेशन (Amendment application) को हाई कोर्ट द्वारा स्वीकृत करते हुए सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से हाई कोर्ट ने पूछा कि सेंसर बोर्ड क्या कर रहा है? सिनेमा समाज का दर्पण होता है। ये आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हैं? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है?

कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ रामायण (Ramayana) ही नहीं, बल्कि कुरान (Quran), गुरु ग्रन्थ साहिब (Guru Granth Sahib) और गीता (Geeta) जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए। कोर्ट ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक सहित अन्य प्रतिवादियों की कोर्ट में अनुपस्थिति पर भी कड़ा रुख दिखाया। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने सेंसर बोर्ड द्वारा अभी तक जवाब न दाखिल किए जाने पर आपत्ति जताई और कोर्ट को फिल्म के आपत्तिजनक तथ्यों से अवगत कराया।

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मामले की अगली सुनवाई 27 जून को

रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाए जाने, सीता जी को बिना ब्लाउज के दिखाए जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण को संजीवनी देते हुए दिखाना, आपत्तिजनक डायलॉग्स और अन्य सभी फैक्ट्स को कोर्ट में रखा गया, जिस पर कोर्ट ने सहमति जताई। अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 27 जून को होगी।

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