Adipurush के निर्माताओं को कोर्ट आने का आदेश, जज बोले- फिल्म के दृश्य और संवाद आपत्तिजनक

Adipurush के निर्माताओं को कोर्ट आने का आदेश, जज बोले- फिल्म के दृश्य और संवाद आपत्तिजनक
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फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) का विवाद लखन‍ऊ कोर्ट (Lucknow Court) पहुंच गया है। फिल्म पर बैन के लिए लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डायरेक्टर ओम राउत (Om Raut) और लेखक मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने को कहा है।

Adipurush Controversy: बहुचर्चित फिल्म ‘आदिपुरुष’ का विवाद अब लखनऊ कोर्ट (Lucknow Court) पहुंच गया है। फिल्म में रामायण (Ramayana) के तथ्यों और उसके पात्रों के वेशभूषा के साथ छेड़छाड़ करके निर्माताओं ने देश की बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को आहत किया है। इस दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने फिल्म के निर्देशक ओम राउत (Om Raut) और राइटर मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपनी बात रखने को कहा है।

कोर्ट ने कहा- फिर से हो सर्टिफिकेट की समीक्षा

जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस प्रकाश सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार को प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान अभिनीत फिल्म को जारी किए गए सर्टिफिकेट की फिर से समीक्षा करने के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है। 28 जून को दिए अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा है कि आदिपुरुष के निर्माताओं ने फिल्म में धार्मिक पात्रों को उनकी पवित्रता का ध्यान रखे बिना पेश किया है। कोर्ट ने आगे कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression) के नाम पर किसी को भी शालीनता या नैतिकता के खिलाफ कुछ भी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

प्रथम दृष्टि से ही घटिया है यह फिल्म: कोर्ट

कोर्ट ने फिल्म के संवाद और दृश्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे लिए यह फिल्म पहली नजर से ही भारतीय संविधान की धारा 19 के तहत निर्धारित किए गए टेस्ट में ही क्वालीफाई नहीं होती है। न केवल फिल्म के संवाद घटिया हैं, बल्कि माता सीता और विभीषण की पत्नी को चित्रित करने वाले फिल्म के कई सीन भी अपमानजनक हैं। यहां तक कि रावण, उसकी लंका आदि का दृश्यांकन भी काफी मजाकिया किस्म का है। फिल्म निर्माताओं ने दर्शकों की भावनाओं का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा है, जबकि उन्हें पता है कि ये किरदार कितने पूजनीय हैं।

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दिशानिर्देश का पालन नहीं किया: कोर्ट

इसके अलावा कोर्ट ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड (Censor Board) सिनेमैटोग्राफ अधिनियम (Cinematograph Act), 1952 के तहत जारी दिशानिर्देश का पालन किए बिना फिल्म रिलीज के लिए सर्टिफिकेट जारी कर दिया। कोर्ट ने ये टिप्पणियां उन दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें फिल्म 'आदिपुरुष' से आपत्तिजनक संवादों और दृश्यों को हटाने की मांग की गई थी।

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