अनिल कपूर और अमरीश पुरी के 'सौदेबाजी' का खामियाजा आज भी झेल रही शिवसेना, वायरल हो रहा वीडियो

अनिल कपूर और अमरीश पुरी के सौदेबाजी का खामियाजा आज भी झेल रही शिवसेना, वायरल हो रहा वीडियो
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आखिर, अमरीश पुरी और अनिल कपूर के बीच ऐसी क्या सौदेबाजी हुईं थी, जिसने महाराष्ट्र में बनती आ रही सभी सरकारों के नाक में दम कर दिया। इस खबर में जानें....

दिग्गज एक्टर अमरीश पुरी बेशक आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके द्वारा निभाए गए किरदारों से वो सबके दिलों में बसे हुए है। उन्होंने जो भी किरदार मिलता वो बड़ी ही शिद्दत के साथ निभाते और ये किरदार लोगों के बीच हिट हो जाते थे। कुछ ऐसी की खूबिया अनिल कपूर में भी है। अनिल कपूर भी अपने किरदार में जान डालने के लिए पूरा जोर लगा देते है। जब भी दोनों एक फिल्म में नजर आते, वो फिल्म पहले से ही सुपर-डुपर हिट मान ली जाती थीं।

दोनों ने मिलकर कई सुपरहिट फिल्में दी है। जिसमें 'मिस्टर इंडिया' और 'नायक' जैसी शानदार मूवी शामिल है। दोनों से जुड़ी एक बातें बेहद मशहूर है। दोनों के बीच एक दिन किसी पद को लेकर सौदेबाजी हुईं। इस सौदेबाजी का नतीजा जो निकला, उसने शिवसेना सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी, न सिर्फ शिवसेना सरकार बल्कि साल 2001 में मुख्यमंत्री रहे विलासराव देशमुख की मुश्किलें बढ़ा दी थी। साल 2001 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन था और सीएम के पद पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य विलासराव दगड़ोजीराव देशमुख थे।

चलिए आपको पूरा माजरा समझाते है कि हम साल 2001 की क्यों बात कर रहे है और आखिर अमरीश पुरी और अनिल कपूर के बीच ऐसी क्या सौदेबाजी हुईं थी, जिसने महाराष्ट्र में बनती आ रही सभी सरकारों के नाक में दम कर दिया। दरअसल, बात 'नायक' मूवी की है। फिल्म में अमरीश पुरी महाराष्ट्र के सीएम का रोल निभा रहे है और अपनी कुर्सी का सौदा एक इंटरव्यू में अनिल कपूर से कर आते है। इस सौदेबाजी का नतीजा अमरीश पुरी के लिए बेहद बेकार निकलता है, क्योंकि एक दिन के रूप में सीएम बने अनिल कपूर अपने कामों से लोगों के दिलों में जगह बना लेते है।

ये फिल्म साल 2001 में रिलीज हुई। फिल्म के रिलिजिंग के बाद से लोगों को महाराष्ट्र के सीएम पद पर बैठे नेता से कुछ ऐसी ही उम्मीदें है। यही वजह से जब भी महाराष्ट्र में सरकार बनती है, तो लोग 'नायक' मूवी का जिक्र करते हुए इच्छा जताते है, उन्हें राज्य में ऐसी सरकार चाहिए और जब सरकार ऐसी नहीं निकलती तो लोग उनके खिलाफ ही धरना-प्रदर्शन या फिर सरकार के खिलाफ हो जाते है। पिछली सरकारों को भी लोगों का विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था और अब शिवसेना को भी अक्सर लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है।

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